(ऑनलाइन) 17 जनवरी को सायं 6 बजे प्रहरी राजस्थान इकाई की मासिक काव्य-गोष्ठी प्रहरी मंच के संस्थापक अध्यक्ष आदरणीय डॉ नरेश नाज़ के सानिध्य में आयोजित की गई। गोष्ठी का शुभारम्भ माँ सरस्वती की आराधना के साथ हुआ। श्रीमती विनीता लवानिया ने बड़े मधुर स्वर में " जीवन ज्योतिर्मय करो" की मधुर, मनमोहक प्रस्तुति दी।
श्रीमती ज्योत्सना ने "दूध फटा तू मथ रहा, चाहे रे नवनीत" की सुंदर प्रस्तुति दी। श्रीमती पुष्पा माथुर "तुम छोड़ते मधुर राग, मैं वीणा का तार"कविता, श्रीमती कमलेश शर्मा ने "नर को भी सोचना होगा"कविता की खूबसूरत अभिव्यक्ति की।
डाॅ अंजु सक्सेना ने "चलते चलते राह में गिरा आदमी", श्रीमती विनीता लवानिया ने "तलाशते रहे खुद में खुद" की खूबसूरत अंदाज़ में अभिव्यक्ति दी।
श्रीमती शशि सक्सेना ने "चल पड़े बंजर हुए भावनाओं की धरती पर", श्रीमती मीता जोशी ने "जब मैं मौन होती हूँ मेरे शब्द मुखर हो जाते हैं", श्रीमती उषा शर्मा ने "अहम् की सूखी भूमि पर प्यार बोना चाहती हूँ की मार्मिक अभिव्यंजना की। श्रीमती नीता भारद्वाज ने "साल बदला है ख्यालात भी बदलने चाहिए ", श्रीमती सुशीला शर्मा ने "कान्हा तेरी मुरली सौतन भयी" भजन को बेहद मोहक अंदाज़ में प्रस्तुत किया। श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना ने "कर्म के बीज से अब भर गयीं वादियाँ", गुजरात इकाई की श्रीमती ज्योति ने "राधा का पति "कविता पेश की। श्रीमती सुशीला शील जी ने दोहे और नारी की परिभाषा को प्रतीक रूप व सुंदर शैली में प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ मेजर प्राची जी ने धार्मिक आस्था के प्रतीक 'राम" कविता में सुर गण करें आचमन, पुलकित हुआ सारा चमन कर नर्तन ने सभी का मन मोह लिया। डाॅ कंचना ने प्रकृति चित्रण के माध्यम से सामयिक परिवेश का रूपक बाँधा।
प्रहरी मंच के संस्थापक अध्यक्ष श्रद्धेय नाज़ सर ने राष्ट्र धर्म से ओतप्रोत वीर रस के गीत "मेरे प्यारे देशवासियो! सुनो देश का हाल" को बड़े मधुर स्वर में प्रस्तुत कर गोष्ठी में चार चाँद लगा दिए।
गोष्ठी का शानदार संचालन राजस्थान इकाई की अध्यक्ष डाॅ कंचना सक्सेना ने किया।
आदरणीय नाज़ सर, डाॅ मेजर प्राची, श्रीमती सुशीला शील जी ने सभी कवयित्रियों का उत्साहवर्धन किया।
अंत में अध्यक्ष ने सभी अतिथियों के साथ प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
Prahari Manch Rajasthan organized an online kavi goshthi