रिपोर्ट - श्याम रतन शर्मा
झुंझुनूं :- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा के पूर्व स्पीकर बलराम जाखड़ का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया. वह ९२ वर्ष के थे। उनके बेटे सुनील जाखड़ ने बताया कि उनका निधन आज सुबह करीब सात बजे अपने आवास पर हुआ. उनके अंतिम संस्कार के लिए पार्थिव शरीर को पंजाब के अबोहर ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को सुबह ११ बजे उनके पैतृक गांव पंचकोशी में होगा. २३ अगस्त, १९२३ को पंजाब राज्य के फिरोजपुर जिले में पंचकोसी गांव में जन्मे डॉ. बलराम जाखड़ को लगातार दो बार सर्वसम्मति से लोकसभा स्पीकर चुने जाने के लिए याद किया जाता है. वह एक किसान से राजनीतिज्ञ बने थे. वह सातवीं लोकसभा में निर्वाचन के तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष के लिए चुने गए थे. डॉ. जाखड़ को अंग्रेजी, संस्कृत, हिन्दी, उर्दू और पंजाबी का गहन ज्ञान था। फॉरमेन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर से संस्कृत ऑनर्स में ग्रेजुएशन करने के बाद भी उन्होंने खेती किसानी में अपनी दिलचस्पी दिखाई. उन्होंने अपनी जमीन पर फलों और अंगूरों के बागों के विकास के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया. इसके लिए वर्ष १९७५ में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा "ऑल इंडिया उद्यान पंडित" की उपाधि प्रदान की गई। कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान को मान्यता प्रदान करते हुए उन्हें हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार और गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार ने क्रमशः उन्हें "डाक्टर ऑफ साइंस" और "विद्या मार्तण्ड" की मानद उपाधियां दी थीं. इसके बाद ही उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। डॉ. जाखड़ ने साल १९७२ में पंजाब विधान सभा से चुने गए. विधान सभा के लिए उनके निर्वाचन के एक वर्ष के भीतर ही उन्हें सहकारिता, सिंचाई और विद्युत उपमंत्री के रूप में मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया गया. वह वर्ष १९७७ तक मंत्री रहे. वर्ष १९७७ में विधान सभा के लिए पुनः निर्वाचित होने पर उन्हें कांग्रेस (इ.) विधान मंडल पार्टी के नेता के रूप में चुन लिया गया और उस हैसियत से उन्हें पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त हुई. इस पद पर वह जनवरी १९८० में तब तक रहे जब उन्हें फिरोजपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से सातवीं लोक सभा के लिए चुना गया। जाखड़ को २२ जनवरी, १९८० को सातवीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया. उन्होंने सदन की कार्यवाही का जिस तरीके से चलाई उसकी सराहना हुई. दिसम्बर १९८४ के आम चुनाव में वह फिर राजस्थान के सीकर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीते और फिर उन्हें आठवीं लोकसभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। भारतीय संसद में समिति प्रणाली को नया रूप देने में जाखड़ ने अहम प्रयास किए. इसके अलावा संसद सदस्यों के लिए सेवाओं के कम्प्यूटरीकरण तथा स्वचालन प्रणाली की शुरूआत भी जाखड़ के अध्यक्ष रहते हुए ही हुई थी. उन्होंने सदस्यों के हित के लिए संसदीय ग्रंथालय और इसकी शोध, सन्दर्भ, प्रलेखन और सूचना सेवाओं के विस्तार में भी रूचि दिखाई।