Breaking News

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

कबीर वाणी एवं स्कूल आर्केस्ट्रा ने बांधा समां

उदयपुर। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर द्वारा रविवार को आयोजित किए जाने वाले 34वें वार्षिक सम्मान समर्पण समारोह की पूर्व संध्या पर शनिवार को सिटी पैलेस के माणक चौक में भारतीय लोक संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इस संगीत संध्या में फाउण्डेशन द्वारा डागर घराने से सम्मानित किए जाने वाले प्रहलाद तिपानिया ने अपनी अनूठी प्रस्तुति दी। उन्होंने कबीर के पद- जो मन शीतल होए, जग में उस जैसा साधु नहीं कोय...., उन्होंने मालवीय लोक शैली में सद्गुरू कबीर की लोकवाणी, गुरूवंदना, गुरूजी के चरणों में रहणा भाई, रंग महल में अजब शहर में आजा रे हंसा भाई, जहां देखूं वहां तू ही तू, जरा हलके गाड़ी हांको कबीरा, चादर झीणी एवं कोई सुनता है गुरू ज्ञानी जैसे पद गाकर वातावरण में कबीर रस घोल दिया। उनके साथ हारमोनियम, ढोलक, वायलिन, मंजीरे पर देव नारायण सरोलिया, अशोक तिपानिया, अजय तिपानिया, विजय तिपानिया, धर्मेन्द्र तिपानिया ने संगत की। इससे पूर्व माणक चौक में उपस्थित अतिथियों के सामने महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के 125 विद्यार्थियों ने ऑर्केस्ट्रा से अपनी संगीत कला का प्रदर्शन किया। प्रस्तुति के प्रारंभ में ऊॅं नम: शिवाय की स्वर लहरियां गूंजी, जिससे समूचा वातावरण संगीत से सराबोर हो गया। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए ब्रास बैण्ड ने राग भोपाली का परिचय दिया, जिसे भारतीय व पाश्चात्य वाद्ययंत्रों ने आगे बढ़ाया। इसी में अमेजिंग ग्रेस के गायन ने दो संस्कृतियों के मिलन का समां बांध दिया। तत्पश्चात राग यमन में जा रे बदरा बैरी जा... व राग खमाज में होरी के शास्त्रीय गायन ने सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। इस भारतीय व पाश्चात्य संगीतमय समागम का समापन तराना-ए-हिंद से हुआ। 
प्रारंभ में समारोह के अतिथि भारत में ग्रीस एम्बेसी के राजदूत पेनेयोटिस केलोगरोपोलस एवं डॉ. कुश ङ्क्षसह परमार ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड़, न्यासी लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, विजया कुमारी जी मेवाड़ एवं पूर्व सांसद बालकवि वैरागी सहित अनेक गणमान्य मेहमान उपस्थित थे। समारोह का संचालन गोपाल सोनी एवं रूपा चक्रवर्ती ने किया। अंत में कलाकारों को सरोपाव भेंट कर सम्मानित किया गया।