भागीरथ सिंह भाग्य यानि भगीरथ वो जो गंगा नदी को पृथ्वी पर लेकर आये। सिंह मतलब शेर और भाग्य। यानि भगीरथ के साथ भाग्य और शेर साथ में
भगारिथ सिंह भाग्य कवियों की श्रेणी में एक ऐसा नाम है जो लोगों की पीड़ाओं को अपनी कविताओं से बयां करता है। इनका मूल स्वर गांव, किसान, खेत और खलिहान है। गांव-गलियों की बातों, गांव के लोगों की पीड़ा है। आपने राजस्थानी भाषा के गीतकार के रूप में देशभर में कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ किया है। वहीं आकाशवाणी व दूरदर्शन पर निरतंतर कविताओं व गीतों का प्रसारण जारी है।
व्यक्तिगत जीवन
व्यक्तिगत जीवन
भागीरथ सिंह भाग्यका जन्म 5 जुलाई 1955 को बगड़ में हुआ है इनके पिता स्वर्गीय मोती सिंह शेखावत और इनके पुत्र गौतम शेखावत व् गुंजन शेखावत है गौतम अपना खुद का व्यापर करते है व् गुंजन राजस्थान पत्रिका में पत्रकार है
ये मिले सम्मान और पुरस्कार
-बिहारी पुरस्कार १९८३ जयपुर
-जिला कलक्टर झुंझुनूं से दरद दिसावर पर १९८३ में सम्मानित
-युवा साहित्यकार सम्मान १९८६ बीकानेर
-लोक कवि मोहन मंडेला पुरस्कार २००६, शाहपुरा, भीलवाड़ा
-नोहर श्री सम्मान २००७, राजस्थानी लोक संस्थान नोहर,
-पंडित भरत व्यास सम्मान २०११, साकार संस्थान चूरू
-कानदान कल्पित स्मृति में राजस्थानी पद्यपुरस्कार, नागौर
-इनके अनेक संस्थाओं ने भागीरथ सिंह भाग्य को उनकी रचनाओं के लिए सम्मानित व पुरस्कृत किया है।
प्रकाशित पुस्तकें
- दरद दिसावर (राजस्थानी)
- चौराहे से आगे (हिंदी)
-गीतां पैली घुघरी (काव्य)
-बिहारी पुरस्कार १९८३ जयपुर
-जिला कलक्टर झुंझुनूं से दरद दिसावर पर १९८३ में सम्मानित
-युवा साहित्यकार सम्मान १९८६ बीकानेर
-लोक कवि मोहन मंडेला पुरस्कार २००६, शाहपुरा, भीलवाड़ा
-नोहर श्री सम्मान २००७, राजस्थानी लोक संस्थान नोहर,
-पंडित भरत व्यास सम्मान २०११, साकार संस्थान चूरू
-कानदान कल्पित स्मृति में राजस्थानी पद्यपुरस्कार, नागौर
-इनके अनेक संस्थाओं ने भागीरथ सिंह भाग्य को उनकी रचनाओं के लिए सम्मानित व पुरस्कृत किया है।
प्रकाशित पुस्तकें
- दरद दिसावर (राजस्थानी)
- चौराहे से आगे (हिंदी)
-गीतां पैली घुघरी (काव्य)