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मिलिये ऐसे बीएसएफ इंस्पेक्टर से जिन्हें जूनून है देश की सेवा का और गरीबो की सेवा का

डीडवाना(खगेन्द्र दाधीच)वैसे तो देश का हर एक सैनिक देश के लिए जान ले सकते है तो शहादत दे भी सकते है हमें गर्व है उन सभी वीर जवानों पर जो देश के लिए अपना पूरा जीवन देश की सीमाओं की सुरक्षा हेतु समर्पित कर देते है ।आज हम आपको ऐसे ही एक सैनिक के बारे में बताने जा रहे है जिसे जानकर आप आश्चर्य चकित रह जायेंगे और यह भी जान पाएंगे की देश का सैनिक तन-मन-धन से देश की सेवा हेतु तो तत्पर रहता ही है बल्कि देश के भीतर गरीबो के भले के लिए भी कुछ कर गुजरने को प्रयत्नशील रहता है ।

 कोलकाता में पदस्थ बीएसएफ के बम डिस्पोसल स्क्वायड के 39 वर्षीय इंस्पेक्टर गोविन्द टांडी हर महीने अपनी जेब से 25000-30000 रुपये उन गरीबो की मदद के लिए खर्च करते है जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पाती है ।महीने की 1 तारीख को गोविन्द टांडी को कोलकाता के दक्षिणेश्वर स्टेशन के करीब बीएसएफ कैंप के पास शाम के वक्त गरीबो को मुफ्त चावल बांटते देखा जाता है।पहली तारीख के आस पास वाले रविवार को हावड़ा के बाली में गरीबो में 3 क्विंटल अनाज व दक्षिणेश्वर में 6 क्विंटल अनाज बांटते है ।
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड(एनएसजी)में काम कर चुके गोविन्द का सेवा कार्य सिर्फ बंगाल तक ही सिमित नहीं बल्कि राजस्थान और ओडिशा तक भी फैला हुआ है ।राजस्थान के नागौर जिले में 35 गरीब परिवारों की जिम्मेदारी गोविन्द खुद जेब से उठाते है जिन्हें हर महीने राशन पानी बांटा जाता है इतना ही नहीं डीडवाना के नजदीक सांवराद गांव गौशाला में 5 गायों के कृत्रिम पैर भी लगवाये जिनके पैर नहीं थे ।ओडिशा राज्य में वे गोम्पकोंडा पंचायत इलाके में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लगभग 170 परिवारों को मुफ्त में चावल बांटते है ।गोविन्द ने बताया कि राजस्थान और ओडिशा में कुछ परिवारों की जिम्मेदारी उन्होंने स्वयं ले रखी है जिन्हें हर महीने खर्च होने वाली राशि भेज दी जाती है और कोलकाता में वह स्वयं इस सेवा कार्य में सम्मिलित होते है ।

पिता से मिली प्रेरणा,नरेन्द्र मोदी है आदर्श
इतने व्यस्त जीवन में समाज सेवा का जुनून क्यों इस पर गोविन्द बताते है की सेवा कार्य की प्रेरणा उन्हें अपने शिक्षक पिता अमानाराम टांडी से मिली ।पीएम नरेन्द्र मोदी से वे 2012 में मिले उस वक़्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे मोदी से मुलाकात के बाद से ही उनमें सेवा कार्यो के प्रति जूनून पैदा हुआ ।

2013 मे देखा कुछ ऐसा दृश्य की उसके बाद दृढ संकल्पित हो गये
2013 में बीएसएफ(सीमा सुरक्षा बल)में इनकी पोस्टिंग उड़ीशा के मलखान गिरी में हुई उन्होंने देखा की उड़ीशा और आंध्र प्रदेश के सरहद के जंगलों में रहने वाले लोग घास के बीज और पानी से अपना पेट भर रहे है तभी उन्होंने संकल्प लिया की वह अपनी सामर्थ्य के अनुसार ऐसे गरीब परिवारों को भूखे नहीं सोने देंगे उन्होंने वही 5 परिवारों को महीने भर का अनाज पानी उपलब्ध करवाया बस वही से यह सिलसिला राजस्थान,बंगाल और देश के अन्य क्षेत्रों में भी पहुंच गया ।गोविन्द वृद्ध,असहाय व गरीब परिवारों की हर संभव मदद करते है उनका संकल्प है कि वह हर महीने गोद लिए हुए ऐसे परिवारों की सहायता करेंगे ।

2010 में रहे आल इंडिया टॉपर कमांडो
गोविन्दराम ने वर्ष 2004 में बीएसएफ की 43 वी बटालियन  में तैनात हुए।डीडवाना के पास भवादिया की ढाणी क्षेत्र के गोविन्दराम वर्ष 2010 में आल इंडिया टॉपर कमांडो रह चुके है इसके अलावा 2012 में वह एनएसजी कमांडो के रूप में भी देश को सेवाएं दे चुके है ।

"अफसरों के भ्र्ष्टाचार  के कारण न देश सुधर रहा है ना गरीबो को उनका हक मिल रहा है बीपीएल वालो को भी अनाज नहीं मिल पाता जबकि दूसरी और सरकारी खजाने में अनाज सड़ रहा है हालाँकि केन्द्र व राज्य सरकार गरीबी खत्म करने की कोशिश अवश्य कर रही है लेकिन कुछ नेता व अफसर इसका फायदा लूट रहे है ।अगर देश के धनी वर्ग इस सेवा कार्य में आगे आये तो निश्चित ही गरीबी खत्म होगी"
                               - बीएसएफ इंस्पेक्टर गोविन्दराम टांडी