( नरेंद्र स्वामी, जयन्त खांखरा)
खेतड़ी - प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों को डिजिटल इंडिया का सपना तो दिखा दिया है लेकिन हर भारतीय के हाथ में स्मार्टफोन होना उनको बेरोजगारी, नकारात्मक ऊर्जा तथा मानसिक रोग के प्रति भी अग्रसर कर रहा है! कोरोना पूरे विश्व में एक वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुका है जिससे विश्व की सारी जनसंख्या प्रभावित हो रही है तो बच्चों को इसकी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है एक तरफ तो बच्चों को कोरोना का डर सता रहा है वहीं दूसरी तरफ स्कूल की तरफ से ऑनलाइन पढ़ाई भी बच्चों पर गहरा प्रभाव डाल रही है स्कूलों की ओर से करवाई जाने वाली ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों को मानसिक अवसाद की ओर ले जा रही है! ऑनलाइन पढ़ाई के कारण ज्यादातर मामलों में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के कारण अवसाद में आने के केस सामने आए हैं बच्चों के अवसाद में आने पर चिकित्सकों ने भी गहरी आशंका जताई है बच्चों को इस अवसाद से निकालने के लिए मनोरोग चिकित्सक के सामने नई चुनौती आ खड़ी हुई है जिसके लिए वे नित नए प्रयोग कर बच्चों को इससे बाहर निकालने की थेरेपी से इलाज कर रहे हैं! झुंझुनू के मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कपूर थालौर से हुई विशेष बातचीत के दौरान कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए ! डॉक्टर कपूर ने बताया कि 2 दिन पूर्व उनके पास एक स्कूली बच्चे को लाया गया जिसे घरवालों ने पकड़ रखा था जब बच्चे को पकड़ने का विषय जानने की कोशिश की तो परिजनों ने बताया कि बच्चा मानसिक संतुलन खो चुका है! खोया खोया रहता है ,खाना नहीं खाता है और इसे छोड़ते ही यह भाग जाएगा! परिजनों ने बताया कि पहले बच्चा स्कूल में जाता था तो पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल में व्यायाम और खेलकूद में अग्रणी रहा करता था लेकिन लॉकडाउन के चलते घर में रहने की वजह से उसकी ऑनलाइन पढ़ाई के कारण यह हालत हो गई है ! थालौर ने बताया कि सक्षम परिवारों के पास मोबाइल बिजली व रिचार्ज की सुविधाएं हैं लेकिन गरीब के पास इन सुविधाओं का अभाव है ऐसे में गरीब का बच्चा अपने साथी विद्यार्थी को मोबाइल के द्वारा ऑनलाइन पढता देख हीन भावना का शिकार हो जाता है और मानसिक तनाव की ओर अग्रसर हो जाता है इतना ही नहीं मोबाइल पर पढ़ने वाले बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं क्योंकि मोबाइल में दिखने वाले प्रश्न छोटे होते हैं तथा अध्यापक द्वारा सिर्फ एक ही बार पढ़ाया जाता है ऑनलाइन क्लास में विद्यार्थी कोई सवाल भी नहीं कर सकता है सवाल करने पर उसे ग्रुप से हटा दिया जाता है! डॉक्टर थालौर ने बताया कि मानव शरीर में कॉन्टेंट एनर्जी होती है जिससे विद्यार्थी स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ कई अन्य एक्टिविटी में भाग लेता है जिससे रात को थक कर सो जाता है लेकिन लॉकडाउन के दौरान घर में ही रहने की वजह से बच्चे इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं
क्या क्या है मानसिक विकार के लक्षण
मनोरोग चिकित्सक डॉक्टर कपूर थालोर के अनुसार बच्चों को जब मोबाइल हाथ में दे दिया जाता है तो वह पढ़ाई के साथ साथ गेम या दूसरी चीजें भी मोबाइल में देखते हैं जिससे उनमें आपस में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो जाती है और वह दिन प्रतिदिन मानसिक रोगी बन जाते हैं इस बीमारी के मुख्य लक्षण नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना, एकांत में बैठे रहना, सुस्ती आना ,झुंझलाहट आना, बात-बात पर गुस्सा करना है! परिजनों को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ऐसे कुछ लक्षण यदि बच्चे में दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें!
छोटे बच्चों की पढ़ाई का दबाव कम करें विद्यालय
ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बड़ी क्लास के बच्चे तो फिर भी कुछ सीख सकते हैं लेकिन छोटे बच्चे जो कक्षा कक्ष में भी ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं अध्यापक द्वारा बार-बार पढ़ाने पर थोड़ा बहुत सीख पाते हैं ऐसे में ऑनलाइन क्लास छोटे बच्चों के लिए बहुत बड़ा बोझ बन गई हैं ऐसे में विद्यालयों को यह जरूर ध्यान रखना चाहिए !
पढ़ाई के साथ अन्य एक्टिविटी से जोड़ना चाहिए विद्यार्थियों को
विद्यालय परिवार और विद्यार्थियों में आपस में सामंजस्य बना रहे इसके लिए ऑनलाइन क्लास के द्वारा नौनिहालों को पढ़ाया जा रहा है लेकिन पढ़ाई के साथ साथ चित्रकला और गायन या अन्एय एक्टिविटी ऐसी है जिनके द्वारा विद्यार्थियों को मोटिवेट किया जा सकता है और विद्यालय परिवार तथा विद्यार्थियों में सामंजस्य बनाया जा सकता है !
आखिर क्यों कर रहे हैं विद्यालय स्कूल संचालक ऐसा काम
विद्यार्थियों की ऑनलाइन पढ़ाई का सीधा संबंध विद्यालय को मोटी कमाई से है ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान एक भी निजी विद्यालय ने यह घोषणा नहीं की है कि वह बच्चों की फीस माफ कर देंगे! जबकि कोरोना वैश्विक महामारी में हर किसी का बुरा हाल है खासकर मध्यम वर्ग व गरीब तबके के लोग ज्यादा प्रभावित हैं जो लोग रोजाना मजदूरी कर परिवार का लालन पालन करते हैं उनकी मजदूरी भी हाल फिलहाल बंद है ऐसे में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना बड़ा मुश्किल हो रहा है तो बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ हो रहे हैं !ऐसे में उनके दिमाग में यह प्रश्न हर समय खड़ा रहता है कि ऑनलाइन क्लास से बच्चे को जोड़ेंगे तो विद्यालय परिवार मोटी फीस वसुलेंगे!
गरीब अनपढ़ अभिभावकों के सामने ऑनलाइन पढ़ाई सबसे बड़ी चुनौती
मेहनत मजदूरी कर रोजी-रोटी चलाने वाले गरीब अनपढ़ अभिभावकों के सामने ऑनलाइन पढ़ाई करवाना बेहद मुश्किल हो रहा है कैसे -जैसे जुगाड़ कर कुछ अभिभावक स्मार्टफोन तो खरीद लाए हैं लेकिन घर पर ऑनलाइन पढ़ाई करवाना बेहद मुश्किल हो रहा है क्योंकि यदि बच्चे को कुछ नहीं समझ आता है तो ऐसे में अभिभावक क्या करें! क्योंकि वह खुद अनपढ़ है और लॉकडाउन के चलते कोई ट्यूशन सेंटर भी नहीं संचालित हो रहा है ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई का तात्पर्य क्या है ?
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