रविवार, 9 सितंबर 2018

DANTARAMGARH -खेल मैदान की भूमि नहीं छोडऩे का लिया संकल्प

खबर - राजेश वैष्णव 
दांता में विशेष ग्राम सभा में जुटे हजारो लोग
दांतारामगढ़। दांता के सरकारी स्कूल का खेल मैदान बचाने को लेकर दांता में रविवार को विशेष ग्राम सभा आयोजित की गई। ग्रामसभा में जुटे सैकड़ो लोगो ने खेल मैदान कुछ भी करने की बात कहते हुए किसी भी हाल में खेल मैदान की जगह नहीं छोडऩे का संकल्प लिया। ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित किया गया कि वर्तमान में राजकीय सीनियर विद्यालय की खेल मैदान की जगह वर्षो से विद्यालय की है और विद्यालय की रहेगी। ग्राम सभा में विद्यालय खेल मैदान के पास स्थित बालाजी व नर्सिगजी मंदिर की दुर्दशा पर चर्चा कर उनके देखरेख विद्यालय विकास समिति के नाम करने तथा विद्यालय भवन का पट्टा भी बनवाकर देने का प्रस्ताव रखा गया।
दांता के इतिहास मे यह पहली ग्राम सभा हुई जो ग्राम पंचायत भवन से बाहर राजकीय सीनियर विद्यालय पसिर में हुई है। ग्राम पंचायत ने विशेष ग्राम सभा की सूचना सार्वजनिक करने के साथ ही दांता कस्बे में लाउडस्पीकर पर सभी को ग्राम सभा की सूचना करवाई ताकि ग्राम सभा का कोरम पूरा किया जा सके। विशेष ग्राम सभा की अध्यक्षता सरंपच हरकचंद जैन ने की वहीं ग्राम सभा में ग्रामविकास अधिकारी भगवान सहाय मौर्य के साथ सभी वार्ड पंच व बड़ी संख्या में कस्बेवासी महिला पुरूष मौजूद थे।
यह है मामला
खेल मैदान पर दांता के राजकीय सीनियर विद्यालय का कब्जा है जिस पर खिलाड़ी ख्ेालते है व गंाव के सार्वजनिक कार्य होते है। करीब सात बीघा के इस खेल मैदान पर १९८८ में सरकार ने चारो ओर चादिवारी बनवाई थी। पूरा खेल मैदान आज भी जमाबंदी में विद्यालय के खेल मैदान के नाम दर्ज है। सम्वत २००९ से २०१२ तक खेल मैदान की करीब ४ बीघा ६ बीस्वा जमीन मंदिर मूर्ति नर्सिगजी व बालाजी के नाम दर्ज रही। इसके बाद मंदिर के पुजारी ने रेफरेंस तैयार करवाकर राजस्व मण्डल में वाद दायर किया लेकिन २०१५ में राजस्व मण्डल ने रेफरेंस खारिज कर जमीन स्कूल केे नाम ही रख दी। इसकेे पुजारी ने १ फरवरी २०१८  को राजस्व मण्डल में पुर्ननिरीक्षण वाद दायर किया तो ९ जुलार्ई २०१८ को रेफरेंस बहाल कर उक्त जमीन मंदिर मूर्ति के नाम कर दी। इसका सुराग विद्यालय को हाल ही लगा तो उन्होने कस्बेवासियों को बात बताई। फिर कस्बे के लोगो ने उपखण्ड अधिकारी व तहसीलदार को ज्ञापन देकर नामान्तरण नहीं खोलने की मांग रखी है।
१९६५ मे स्कूल को दिया था खेल मैदान
दांता के भींवराम बद्रीनारायण खेतान ने करीब सात बीघा से अधिक यह खेल मैदान १९६५ में  विद्यालय को दिया था। इसम मंदिर मूर्ति की जमीन थी जो १९ अप्रेल १९६५ को सरकार ने अधिग्रहण कर पुजारी मोहनलाल को ४७५ रूपए मुआवजा दे दिया था। इसी के पास भींवराम बद्रीनारायण खेतान की २ बीघा ६ बीस्वा जमीन थी जिसका मुआवजा २५३ रूपए सरकार उनको दे रही थी। लेकिन उन्होने मुआवजा लेने की बजाय पुजारी को दिया मुआवजा ४७५ रूपए अपनी ओर से सरकार को लौटा दिए और पूूरी जमीन विद्यालय के खेल मैदान के नाम करवाकर अपनी नाम पट्टिका भी उसी समय लगा दी थी जो आज भी लगी हुई है। 

Share This