खबर - पवन शर्मा
सूरजगढ़ । समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा से आई जागरूकता के कारण अब रूढ़िवादी परम्पराओ को जनता धीरे धीरे तिलांजलि देने लगी है जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था वही अब शिक्षा व जाग्रति से जनता की सोच में बदलाव आना शुरू हो गया है। इसका एक जीता जागता भोजाराम की ढाणी में देखने को मिला। जहां गिरधारीलाल सैनी ने अपनी लाड़ली बिटिया सरोज को घोड़ी पर बैठाकर उसकी बिंदोरी निकालते हुए लडको की भांति उसके लाढ चाव किये।
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