शनिवार, 22 अगस्त 2020

ऋषि पंचमी का व्रत कब और क्यों करना चाहिए? व्रत कथा! (23/08/2020 रविवार)पंडित :- भानुप्रकाश शर्मा

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 23/08/2020 रविवार को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यतानुसार, ऋषि पंचमी का अवसर मुख्य रूप से सप्तर्षि के रूप में प्रसिद्ध सात महान ऋषियों को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर श्रद्धालु पूरे विधि-विधान के साथ ऋषियों के पूजन पाठ करते हैं और पंडितों से कथा सुनते है।  सप्तर्षि से जुड़े हुए सात ऋषियों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पृथ्वी से बुराई को खत्म करने के लिए स्वयं के जीवन का त्याग किया और मानव जाति के सुधार के लिए काम किया था। ऋषि पंचमी की पूजा के लिए सप्तऋषियों की प्रतिमाओं की स्थापना कर उन्हें पंचामृत स्नान देना चाहिए। इसके बाद उन पर चंदन का लेप लगाते हुए फूलों व सुगंधित पदार्थों और दीप-धूप आदि अर्पण करना चाहिए ।
✳️✳️सप्त ऋषि ✳️✳️

1.कश्यप 2.अत्रि 3.भारद्वाज 4.विश्वामित्र 5.गौतम 6.जमदग्नि 7.वशिष्ठ

 ✳️✴️ व्रत किस करना चाहिए✴️✳️
यह व्रत चारों वर्ण की महिलाओं को करना चाहिए। यह व्रत जाने -अनजाने में हुए पापों को नष्ट करने वाला है। इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व है।

✳️✴️💠ऋषि पंचमी व्रत कथा💠✴️✳️

काफी समय पहले विदर्भ नामक एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहते थे, उनके परिवार में एक पत्नी, पुत्र और एक पुत्री थी। ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह एक अच्छे ब्राह्मण कुल में किया लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी पुत्री के पति की अकाल मृत्यु हो गई, जिसके बाद उसकी विधवा बेटी अपने घर वापस आकर रहने लगी। एक दिन अचानक से मध्यरात्रि में विधवा के शरीर में कीड़े पड़ने लगे जिसके चलते उसका स्वास्थ्य गिरने लगा। पुत्री को ऐसे हाल में देखकर ब्राह्मण उसे एक ऋषि के पास ले गए। ऋषि ने बताया कि कन्या पूर्व जन्म में ब्राह्मणी थी और इसने एक बार रजस्वला होने पर भी घर के बर्तन छू लिए और काम करने लगी। बस इसी पाप की वजह से इसके शरीर में कीड़े पड़ गए हैं!चूंकि शास्त्रों में रजस्वला स्त्री का कार्य करना वर्जित होता है लेकिन ब्राह्मण की पुत्री ने इस बात का पालन नहीं किया जिस कारण उसे इस जन्म में दंड भोगना पड़ रहा है। ऋषि कहते हैं कि अगर वह कन्या ऋषि पंचमी का पूजा-व्रत पूरे श्रद्धा भाव के साथ करते हुए क्षमा प्रार्थना करें तो उसे अपने पापों से मुक्ति मिल जाएगी। कन्या ने ऋषि के कहे अनुसार विधिविधान से पूजा और व्रत किया तब उसे अपने पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिला। इस प्रकार विधवा कन्या के समान ऋषि पंचमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है।

✳️✴️व्रत कब तक करना चाहिए और कैसे ✴️✳️

लगतार सात वर्ष तक ऋषि पंचमी के दिन व्रत रख कर आठवें वर्ष में सात सोने की मूर्तियां (श्रद्धानुसार ) बनवाकर एवम उनका पूजन कर सात गोदान तथा सात युग्मक-ब्राह्मण को भोजन करा कर सप्त ऋषियों की प्रतिमाओं का विसर्जन करना चाहिए।

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पंडित :- भानुप्रकाश शर्मा
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महाकाल ज्योतिष, जड़ाऊ मेड़ता, नागौर(राज.)

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