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नवलगढ़ एक परिचय

लेख - सत्येन दाधीच ( सोनू )
समृद्ध विरासत और राजस्थान का जिक्र शेखावाटी के झुंझनु जिले में बसे नवलगढ़ के बिना अधूरा है । तत्कालीन महाराजा नवलसिंह जी के द्वारा बसाये इस कस्बे में धन कुबेरों का वैभव यहाँ की हर गलियों में बनी हवेलियाँ दृश्यमान करवाती है । दीवारों पर अंकित भित्तिचित्र पौराणिक से आधुनिक युग तक को अपने भीतर समेट कर सदियों से यूं ही समय के थपेड़ों को सह रही है । इस प्रकृति के प्रति धनकुबेरों के अगाध प्रेम को आप भित्तिचित्रों में फूल और पत्तियों की रंगीन बेलों में सहज ही महसूस कर सकते है ।

यहां के अनगिनत मंदिरों में श्रेष्ठीजनो द्वारा किये गए भव्य निर्माण से आप इस सहज बसे नवल नगर के धर्म और ईश्वरीय आस्था को अनुभूत कर सकते है । कल्पना से परे है वह माहोल जिसका निर्माण यहाँ के 33 से भी अधिक सेठों ने अपने उत्थान के समय किया था । बगीचे, बावड़ी और दूर से दीख पड़ने वाले कुए ना सिर्फ राहगीरों की प्यास बुझकर उन्हें आश्रय देते थे अपितु सांध्यकालीन मनोरंजन का उत्तम स्थान बनकर भी अपनी अलग छटा बिखेरते थे ।

पोद्दार, मुरारका, जयपुरिया, परसरामपुरिया, सेखसरिया, मोर, कूलवाल, मानसिंहका और भी कतिपय ज्ञात अज्ञात नाम जिन्होंने इस क्षेत्र से उठकर देश और विदेश में नवलगढ़ का नाम वैश्विक मानचित्र पर स्वर्णाक्षरों में सदा सदा के लिए अंकित कर दिया ।