नागौर। न्याय आपके द्वार अभियान के तहत गुरुवार को रियां बड़ी की ग्राम पंचायत पादुखुर्द में आयोजित राजस्व लोक अदालत षिविर में लीलिया गांव की जानकी देवी और गुटकी देवी को 11 वर्ष बाद न्याय मिला। जानकी देवी पत्नी भीकाराम जाट ने 2005 में 30 मई को बेचाननामा के जरिए मोहनसिंह, भंवरसिंह आदि से खरीदी थी। इसका नामान्तरण 5 जून 2005 को स्वीकृत होकर जमाबंदी में अंकित कर दिया गया। इसी प्रकार खातेदार मदनसिंह पुत्र माधोसिंह राजपूत से जानकी देवी ने 5 जुलाई 2005 को 2 बीघा 8 बिस्वा भूमि खरीदी जिसका नामान्तरण स्वीकृत होकर जमा बंदी में अंकन हो गया।
भू-प्रबंधन के दौरान तैयार जमाबंदी में जानकी देवी द्वारा उपरोक्त खरीदी गई भूमि का इंद्राज जानकी देवी के नाम नहीं होकर विक्रेतागणों के नाम पुनः हो गया। अपना नाम खातेदारी में दर्ज करवाने के लिए न्यायालय में जाने पर भी जानकी को राहत नहीं मिली।
इसी प्रकार गुटकी देवी पत्नी मूलाराम गुर्जर के प्रकरण में भी भू-प्रबंधन के बाद बनी खतौनी में पुनः विक्रेता का ही नाम दर्ज हो गया था।
गुरुवार को लगाए गए राजस्व लोक अदालत षिविर में पीठासीन अधिकारी रियांबड़ी उपखण्ड अधिकारी रामसुख गुर्जर ने दोनों प्रकरणों की जांच करवाकर क्रेताओं के नाम खातेदारी दर्ज करने के आदेष दे दिए और 11 साल बाद जानकी देवी और गुटकी देवी को न्याय मिलने से राहत मिली