नवलगढ़ – नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी द्वारा पत्रकार रविंद्र पारीक के खिलाफ दर्ज करवाई गई एफआईआर का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। पत्रकार संगठनों ने इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला बताया है संगठनों का आरोप है कि गौवंश ठेके की नाकामी छुपाने और विरोध की कवरेज रोकने के लिए पत्रकार को असामाजिक तत्व बताकर एफआईआर दर्ज कराई है। यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने का प्रयास है।
पत्रकार रविंद्र पारीक ने कहा कि उन्होंने मौके पर केवल पत्रकारिता धर्म निभाया और शांति बनाए रखने का प्रयास किया। "मैंने न तो गेट खोला और न ही किसी को उकसाया। उल्टा, मैंने लोगों को शांत किया।
एफआईआर में सीसीटीवी कैमरे तोड़ने का भी आरोप लगाया गया है, लेकिन पत्रकार का दावा है कि यह झूठा है। "कैमरे नगरपालिका द्वारा खुद हटवाए गए थे, जिसका वीडियो सबूत के तौर पर मौजूद है," उन्होंने बताया।
इस पूरे प्रकरण को लेकर पत्रकार संगठनों में रोष व्याप्त है। संगठनों ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
मामले को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया है, जिसकी प्रतियां कलेक्टर, डीजीपी, डीएलबी और नगरीय विकास मंत्री को भी भेजी गई हैं।
पत्रकार संगठनों ने साफ कहा है कि यह केवल एक पत्रकार का नहीं, बल्कि पूरी पत्रकारिता की स्वतंत्रता का सवाल है, और वे इसे किसी भी सूरत में दबने नहीं देंगे।