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सिंघाना का चमत्कारी बाबा..........

विशेष रिपोर्ट - हर्ष स्वामी 
.......200 गांवो, ढाणीयों के लोग पुजते कुल देवता के रूप में।
मण्ढ़ी वाले बाबा के नाम से विख्यात।
दो किलोमीटर पहाड़ी पर स्थित बाबा का मंदिर।
सिंघाना -अरावली पर्वत श्रृंखला की गुफाओं के उतरी छोर में स्थित बनवास के सघन वन के पास ही लोह अयस्क से भरपुर पहाडी की खोह में सिंघाना शहर बसा हुआ है इस कस्बे के नामकरण के बारे में लोग बताते है कि सिंह मारने वाले योद्धाओं के नाम से ही सिंहमार से सिंघाना अपभ्रंश नाम प्रचलन में आया है। इतिहास में यहा के वनों में जंगली शेर पाये जाने की पुष्टि मिलती है सिंघाना के कस्बे के प्रवासियों में सिंघानियां गोत्र के व्यापारियों ने भारत में अपनी अनुठी पहचान और प्रसिद्धि प्राप्त की है लोहकालीन युग में लोह अयस्क को गलाने व लोह धातु की छडे बनाने के कारखाने थे। इसी अयस्क में पाये जाने वाले अन्य तत्व के रूप में तांबे के अंश मिलने से ही विशाल तांबे के भण्डार मिलने के संकेत मिले और इसी कारण खेतड़ीनगर में एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा ताम्र उत्पादन ईकाई की स्थापना हुई, जो आज विश्वभर में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। इतिहास के जानकारो के अनुसार सिंघाना कस्बा कई बार आबाद और कई बार बर्बाद हुआ।........... यह थी सिंघाना की पुरानी कहानी......अब हम सिंघाना व आसपास के लगते 200 गांवो, ढाणीयों के कुलदेवता बाबा स्वरूपनाथ के बारे में बताने जा रहे है जहां पर समाधी पर धौक लगाने से ही बच्चो व बड़ो की बिमारीयां ही दुर नही होती बल्कि दरिद्रता व आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलता है। सिंघाना में मण्ढ़ी वाले बाबा के नाम से विख्यात व कुलदेवता सिद्ध संत श्री स्वरूपनाथ महराज को पुजने के पीछे एक कहानी प्रचलित है.....सिंघाना के इतिहासकार बताते है कि 600 वर्ष पुर्व सिद्ध महात्मा पहाड़ पर तपस्या किया करते थे। एक बार उनके शिष्यों ने बाबा को चमत्कार दिखाने के लिए कहा तो बाबा ने मना कर दिया लेकिन शिष्यो के बार बार आग्रह करने पर बाबा ने चमत्कार दिखाने के लिए हॉ कर दी, साथ ही उन्होने यह भी हिदायद दी कि मैं अपना रूप बदल कर दिखाउंगा, मैं ज्यों ही रूप बदलु उसी समय मेरे शरीर पर चिमटा लगा देना जिससे मैं दुबारा उसी रूप में आ जाऊंगा। लेकिन जब बाबा ने रूप बदल कर शेर का रूप किया तो उनके शिष्य वहां से डर कर भाग गये। उसी दौरान एक महिला जो पहाड़ पर बकरीयां चरा रही थी उसने भी यह बात सुनी थी जब शिष्य भाग गये तो उस महिला ने ही शेर के शरीर पर चिमटा लगाया। तब बाबा असली रूप में आ गया। उसने महिला से पुछा कि कहीं पर किसी का नुकसान तो नही हुआ ना। जब बाबा ने पहाड़ पर घुमकर देखा तो शेर की दहाड़ से एक गाय की जान चली गई थी। बाबा को गौ हत्या का इतना ज्यादा पश्चाताप हुआ कि उन्होने उसी समय और उसी जगह जिन्दा समाधी ले ली। उसी समय से बाबा को सिंघाना के कूल देवता के रूप में पुजते आ रहे है। समाधी लेने के बाद यह कस्बा हमेशा उतरोत्तर प्रगति पर उन्नतशील रहा। इस मंदिर का निर्माण सिर पर पत्थरो को लेकर पहाड़ी पर किया गया था।

नाग पंचमी पर भरता है विशाल मेला..........
श्रावण मास की कृष्ण पंचमी को बाबा स्वरूपनाथ के निर्माण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन पहाड़ी(मण्ढ़ी) पर विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमें आसपास के 200 गांवो व ढाणियों के लाखों लोग बाबा की समाधी पर धोक लगाते है। नागपंचमी के अवसर पर दो दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम के पहले दिन पहाड़ी पर बाबा का जागरण, भण्डारा होता है। दुसरे दिन पंचमी को महिला व पुरूष अपने छोटे-छोटे बच्चो को लेकर सुबह छह बजे से ही पहाड़ी पर आने शुरू हो जाते है। बाबा स्वरूपनाथ के दर्शन करने के लिए दो किलोमीटर की चढाई पार कर पहाड़ी पर चढना पडता है। जिसके लिए दो रास्ते बने हुए है एक तो वाहनो के लिए सीमेंटेड सडक़ बनी हुई है वहीं दुसरा कच्चा रास्ता पैदल चलने के लिए बना हुआ है। मेले के दिन इतनी ज्यादा भीड़ आती है कि सडक़ वाले रास्ते को वाहनो के लिए बंद कर पैदल श्रृद्धालुओं के लिए उपलब्ध करवा दिया जाता है। मेले में व्यवस्था बनाने के लिए प्रशासन व पुलिस के साथ बाबा स्वरूपनाथ विकास समिति बना रखी है जो दो दिन तक व्यवस्थाए बनाए रखती है। 

दुख हरने वाला बाबा स्वरूपनाथ महाराज............
बाबा के दर पर पहुंचने वाले श्रृद्धालुओं का कहना है कि बाबा की शरण में आने से दुखों से छुटकारा मिलता है और मन को शांति मिलती है। दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु बाबा के दरबार में मन्नोती मांगते है जो बाबा पूरी करते है। पहाड़ की चोटी पर करीब दो किमी की खड़ी चढ़ाई पर बनी बाबा की समाधी पर पहुंचकर महिलाएं अपने बच्चों की स्वास्थ्य की कामना करती है व बाबा उनकी मनोकामना पुरी करते है। कस्बे के ग्रामीण बताते है कि मंढ़ी पर बने तालाब के पानी से चर्मरोग व असाध्य बिमारियों से छुटकारा मिलता है। मंढ़ी पर आने वाला हर श्रद्धालु तालाब के पानी से अपनी आंखे धोते है व शरीर पर पानी के छिंटे लगाते है जिससे उनको कोई चर्मरोग नही होता। कस्बे के बुजुर्ग नंदलाल चौधरी ने बताया कि स्वरूपनाथ बाबा एक चमत्कारी बाबा है हर साल नागपंचमी के दिन क्षेत्र में बरसात होना बाबा का चमत्कार ही है। हर साल नागपंचमी के अवसर पर मेले के दिन बाबा के चमत्कार से बरसात होती है।