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गैर जुलुस को लेकर इतिहास पर अंगुली उठाना गलत- योगेंद्र मिश्रा

अभी हाल ही में शेखवाटी की  नवलगढ़ तहसील में होली के पर्व पर प्रशासन ने गैर में जाने वालों पर लाठीचार्ज किया और उसके बाद इस मामले पर एक जाँच बैठाई गयी। और कई संगठनों ने अपने ज्ञापन भी दिए जिसमे अपनी बातें कहने की कोशिश की लेकिन कुछ लोग ? हम आपसे यही कहना चाहते है की 
गैर जुलुस मात्र एक आस्था ही नही अपितु नवलगढ़ की गौरवशाली परम्परा से जुड़ा विषय है । जो परम्परा आज से 250 वर्षो से पूर्व से चली आ रही है उस पर कुछ लोग प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे है । यह हास्यस्पद सा लगता है या तो उनके अध्ययन में त्रुटि है या फिर मंशा में खोट है । कुछ लोगो का दावा है यह मात्र पचास वर्षो पूर्व शुरू हुई परन्तु ऐसे कई लोग और साथ ही इतिहास साक्षी है यह परम्परा और मार्ग वर्षो से चला आ रहा है । किस किस ने अपनी राजनैतिक रोटिया सेकी और कौन अब सेक रहा है यह दीगर विषय है क्योंकि इतिहास की यदि आप इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश करेंगे तो यह तय मानिये की आज का वर्तमान भी आप को माफ़ नही करेगा । जानकर लोग यँहा तक कहते है की एक समय ऐसा था जब गैर निकलती तो एक समुदाय  स्वागत करता था साथ ही उसमे शामिल तक होता था । लेकिन मैं जँहा तक सोचता हूँ इस सोच के बदलने के पीछे शायद कँही कोई बड़े रूप में जिम्मेदार है तो वो स्वयं ऐसे टीकाकार है जिन्हें इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश करने में मजा आता है ।  महोदय मेरा निवेदन इतना सा है आप समाज का चेहरा है और जरुरी है की आप समाज को सच की तस्वीर दिखलाये ना की झूठ का इतिहास । चन्द पंक्तिया " चाणक्य " की आपके लिए पेश है गौर जरूर फरमाइयेगा -

हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए ; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.
– चाणक्य