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भूमि से धैर्य की शिक्षा , वृक्ष से परोपकार की शिक्षा लेनी चाहिए -श्री त्र्यम्बकेश्वर ब्रम्हचारी जी महाराज

नवलगढ़ -सन्त चरण के दिव्य परिसर में श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन पूज्य श्री त्र्यम्बकेश्वर ब्रम्हचारी जी महाराज ने कहा कि नव योगेश्वरो का वर्णन चौबीस गुरुओ की कथा के माध्यम से भूमि से धैर्य की शिक्षा , वृक्ष से परोपकार की शिक्षा लेनी चाहिए । मित्रता के भाव को बताते हुए सुदामा कृष्ण का अनुपम वर्णन करते हुए उन्होंने कहा जो लोग सुदामा को दरिद्र कहते है उस बात को नकारते हुए उन्होंने कहा सुदामा जी , कृष्ण के सखा है और ब्राह्मणों में उत्तम और विरक्त है । इन्द्रियों से प्रसानतमा है और ऐसा भगवान का सखा दरिद्र कैसे हो गया । दरिद्रता वँहा रहेगी जँहा याचना होगी और सुदामा याचक नही है वे विप्र कुल के नित्य आभूषण है कृष्ण के नित्य सखा है । नारायण स्मरण के साथ कथा की पुर्णाहुति हुई । पुर्णाहुति के बाद मिश्र परिवार और सन्त समाज द्वारा कथा में पधारे झुंझुनू सांसद श्रीमती संतोष अहलावत , भाजपा किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष दिनेश धाभाई , भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विश्वभर पूनिया , भाजपा कार्यालय मंत्री पुरषोतम खाजपुरीया , नवलगढ़ नगरपालिका चेयरमैन सुरेन्द्र सैनी सहित पत्रकार बन्धुओ को दुप्पटा और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया । कथा में हजारो महिलाये और पुरुष मौजूद रहे । 

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