भरतपुर। भरतपुर जिला मजिस्ट्रेट एवं कलक्टर डॉ. एन के गुप्ता ने एक आदेश जारी कर दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में प्रदत्त शक्तियों के तहत जिले में जाट संघर्ष समिति द्वारा जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए किये जा रहे चक्का जाम की स्थिति से निपटने के लिए व शांन्ति एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए जिले की सीमा में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। जिला मजिस्ट्रेट डॉ. गुप्ता ने बताया कि भरतपुर जिले की सीमा में किसी भी स्थान पर 5 या 5 से अधिक व्यक्ति एक समूह में एकत्रित नहीं होंगे। इस दौरान किसी भी प्रकार का प्रदर्शन, धरना या सभा पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। उन्होंने बताया कि यह प्रतिबंध विवाह समारोह, शव यात्रा एवं जुम्मे की नमाज अता किये जाने से संबंधित मस्जिद में जो नियमित रूप से जुम्मे की नमाज अता करते हैं उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होगा। उन्होंने बताया कि जिले की सीमा मेंं किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी प्रकार के आग्नेयास्त्र जैसे बंदूक, रिवाल्वर, फरसा, तलवार, चाकू, छुरा, भाला, कृपाण, गण्डासा, बरछी, कुल्हाडी, लाठी.भाटा.डण्डा, ईट, मशाल, गुलेल या अन्य प्रकार के जान व माल को नुकसान पहुंचाने वाले उपकरणों को लेकर चलने व इनका प्रदर्शन करने एवं वितरण पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। उन्होंने बताया कि ऎसे व्यक्ति विकलांग, अंधे, अपाहिज एवं अतिवृद्ध हैं लाठी का सहारा ले सकेंगे। सिक्ख समुदाय के लोगों को धार्मिक परम्पराओं के अनुसार कृपाण धारण करने की छूट रहेगी तथा सरकार ड्यूटी पर तैनात अधिकारी कर्मचारी, पुलिस एवं सशस्त्र बलों के सदस्यों पर यह आदेश लागू नहीं होगा एवं ऎसे व्यक्ति जो अपने पद के कत्र्तव्यों के निर्वहन के लिए हथियार रखने के लिए अधिकृत हैं उन पर भी यह नियम लागू नहीं होगा। जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि कोई भी व्यक्ति आपत्तिजनक एवं साम्प्रदायिक सद्भावना को ठेस पहुंचाने वाले व उत्तेजनात्मक नारे का न तो प्रकाशन करेगा और न ही लगायेगा। और न ही कोई अफवाह फैलायेगा। कोई भी व्यक्ति ऎसे पोस्टर, पम्पलेट, लाउड स्पीकर, ओडियो व वीडियो कैसेट, सीडी के माध्यम से किसी भी प्रकार का दुष्प्रचार-प्रसार न करेगा ना ही करवायेगा। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति, समुदाय एवं राजनैतिक पार्टी द्वारा संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट की सक्षम अनुमति के बिना रैली, जुलुस, आम सभा, नुक्कड नाटक आदि का आयोजन नहीं किया जायेगा तथा संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना ध्वनि प्रसारण यंत्र का उपयोग नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि जाट आन्दोलन में भाग लेने वाले व्यक्ति को उच्च न्यायालय द्वारा 10 सितम्बर 2007 को पारित किये आदेश एवं दिशा निर्देशों की पूर्णतः पालना करेगा तथा किसी प्रकार का रास्ता रोकना, रेल रोकना, सार्वजनिक या व्यक्तिगत सम्पत्ति को क्षतिग्रस्त करना, आमजन के जान व माल को क्षति पहुंचाना एवं नागरिकों के किसी वर्ग के मौलिक, संवैधानिक एवं मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करेगा। भरतपुर जिले की सीमा में रह रहे अथवा मौजूद सभी व्यक्ति इस आदेश की पालना के लिए बाध्य होंगे। इन आदेशों की अव्हेलना करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धार 188 के तहत अभियोजन की कार्रवाई अमल में लायी जायेगी। यह आदेश 30 जून 2017 की मध्य रात्रि तक प्रभावी रहेगें।
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