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7वां वेतनमान भेदभावपूर्ण और आधा अधूरा - प्रसार

प्रतापगढ़। पब्लिक रिलेशन्स एण्ड एलाइड सर्विसेज एसोसिएशन आॅफ राजस्थान (प्रसार) ने राज्य में डीसी सामंत कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लागू किए गए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को भेदभावपूर्ण और संविधान की मूल भावना के विपरीत बताया है। समानता के नियम की अवहेलना करते हुए इन सिफारिशों में कर्मचारियों और कनिष्ठ अधिकारियों का वेतनमान कम तथा वरिष्ठ अधिकारियों का वेतनमान केन्द्र में समान ग्रेड-पे पर कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों से अधिक रखा गया है। 
प्रसार के अध्यक्ष  सीताराम मीणा ने कहा कि प्रदेश में कार्यरत अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को 01 जनवरी 2016 से केन्द्र के समान 7वां वेतनमान मय एरियर दिया जा रहा है, जबकि राज्य के अधिकारियों-कर्मचारियों को 21 महीने बाद आधा-अधूरा लाभ ही दिया जा रहा है। ऐसे में प्रदेश के जनसम्पर्क सेवा के अधिकारी-कर्मचारियों समेत राज्य सरकार के लाखों कार्मिक ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार अतिशीघ्र इन नई विसंगतियों को दूर कर 01 जनवरी, 2016 से 7वें वेतन आयोग के लाभ मय एरियर प्रदान करे। साथ ही, जनसम्पर्क एवं सहायक सेवाओं के अधिकारियों के वेतन में 5वें और छठे वेतनमान से चली आ रही विसंगतियों को भी शीघ्र दूर किया जाये। 
पीआरओ को लगभग 9 हजार रुपये प्रतिमाह का नुकसान
 मीणा ने कहा कि 4800 ग्रेड-पे पा रहे जनसम्पर्क अधिकारियों (पीआरओ) को 7वें वेतनमान में एंट्री लेवल पर 44,300 रुपये पर फिक्स किया गया है, जबकि इसी ग्रेड-पे पर कार्यरत केन्द्रीय कर्मियों के लिए न्यूनतम मूल वेतन 47,600 रुपये है। इस तरह उन्हें बेसिक-पे और भत्तों में 3,993 रुपये प्रतिमाह का नुकसान हुआ है। यह नुकसान शिड्यूल 5 रिवाइज होने के बाद हुए करीब 5 हजार रुपये के नुकसान के अलावा है। 6,600 ग्रेड-पे में राज्य में केन्द्र की तुलना में 400 रुपये कम पर फिक्सेशन किया गया है।
प्रदेश के बड़े अफसरों का प्रतिमाह हजारों का फायदा
दूसरी तरफ, प्रदेश में ग्रेड-पे 7,600, 8,700 और 10,000 में एंट्री लेवल पर अधिकारियों का मूल वेतन केन्द्र के 78,800 रुपये, 1,18,500 रुपये और 1,44,200 रुपये के मुकाबले क्रमशः 1,100 रुपये, 4,600 रुपये और 4,600 रुपये बढ़ाकर 79,900 रुपये, 1,23,100 रुपये और 1,48,800 रुपये रखा गया है। इस प्रकार वरिष्ठ अधिकारियों को कनिष्ठ अधिकारियों के मुकाबले अधिक वेतन का अंतर रखकर समानता के नियम की स्पष्ट अवहेलना की गई है।