खबर - जीतेन्द्र वर्मा
बूंदी
- केवल नारे लगाने और दिखावे से क्रियान्विती नहीं होती, उसे व्यवहार में
लानी होता हैं, ऐसा कहना हैं इंटेक के सचिव और एडवोकेट राजकुमार दाधिच का,
ज़िन्होने लोगों को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देने के लिए अपनी भतीजी
मेखला की बिंदौरी मंगलवार को हाथी पर निकाली। ऐसा किसी को दिखाने के लिए
नहीं अपितु समाज को संदेश देने की कोशिश हैं कि बेटियां अनमोल हैं।
शादी समारोह में दुल्हन की बिन्दोरी घोडी या बग्गी निकालना आम बात हैं , जो हमारी परम्परा भी रही है।
इससे एक कदम आगे बढ़ कर बूंदी के दाधिच परिवार ने बेटी की बिन्दोरी हाथी पर निकाली।
ऐसी
सकारात्मक पहल हुई अपने पति को शीश भेंट में देने वाली हाड़ी रानी की
जन्मस्थली बूंदी में। यह पहला मौका है जब बून्दी में किसी युवती की बंदोरी
हाथी पर निकली हैं
और हाथी पर बिटिया की बंदोरी
निकालने के पीछे एक मकसद भी है। दुल्हन बनी मेखला आज वर्धा के अभिषेक असोपा
के साथ परिणय सुत्र में बंधेगी।
लोगों में रही उत्सुकता ...
हाथी
पर दुल्हन की बिन्दोरी को देखने की उत्सुकता न केवल स्थानीय लोगों को
अपितु विदेशी पर्यटको में भी रही , पूरे रास्ते लोगों ने जगह-जगह फूल बरसाए
और स्वागत किया। बिंदौरी से पहले बासण सहित अन्य सभी वैवाहिक परम्पराओं को
निभाते हुए सोलह श्रंगारित मेखला हाथी पर सवार होकर चारभुजा मंदिर स्थित
बोराहेड़ा हवेली से नाहर का चोहटा, बालचंद पाड़ा होते हुए नवल सागर तट पर
स्थित गजलक्ष्मी पहुंची। बिन्दोरी में शामिल सभी परिजन और शहरवासी भी अपने
परम्परागत साफे पगडियों में नजर आये।
महाराष्ट्र से आई बारात, रुकेंगी पांच दिन....
महाराष्ट्र
के वर्धा से आई बारात सोमवार रात को ही बूंदी पहुंच गई थी, जो पांच दिन
बूंदी में रुकेगी। बाराती भी इस बिंदौरी में शामिल रहे। बारातियों ने भी इस
पहल का स्वागत किया। ।
परिवार रहा हैं संस्कृति और परम्पराओं का पोषक .....
मेखला
का परिवार संस्कृति और परम्पराओं का पोषक रहा हैं। मेखला के चाचा राजकुमार
दाधीच, जो बिटिया के तौर पर उसकी शादी कर रहे हैं, भारतीय कला एवं
सांस्कृतिक निधि के सचिव भी हैं और बूंदी में संस्कृति और परम्पराओं के
पोषक रुप में जाने जाते हैं। राजकुमार दाधीच का कहना हैं कि हमारे परिवार
में कभी भी बेटे-बेटी में फर्क नहीं किया, सभी को बराबर अवसर दिये गए हैं।
हमने यही संदेश देने के लिए पुरखों से चली रही हमारी परंपराओं का भी हमने
पूरा ध्यान रखते हुए मेखला की बंदोरी हाथी पर निकालने का सामुहिक निर्णय
किया।
अन्य परिवार भी अपनी
बेटियों को आगे बढ़ाएं...... एमटेक कर राणाजी के उदयपुर की युनिवर्सिटी
में अध्यापनकार्य कर रही मेखला का कहना हैं, जिस तरह मेरे परिवार ने आगे
बढ़ाया, मुझे हर क्षेत्र में सहयोग दिया , वैसे ही अन्य परिवार भी अपनी
बेटियों को आगे बढ़ाएं। मुझे गर्व हैं कि मैं चाचा राजकुमार जी की पहल से
बेटियों को बचाने का संदेश देने का माध्यम बनी।