खबर - प्रेम रतन
डूंडलोद-डूण्डलोद में चल रही गौ कृपा कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित होकर कथा का रसपान कर रहे है। बुधवार को व्यासपीठ से श्रद्वालुओं को सम्बोधित करते हुये साध्वी निष्ठा गांेपाल दीदी ने कहा है कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शुत्र होता हैै। अहंकारी मनुष्य का पतन अवष्यम्भावी है। उन्होनें कहा कि मोत जीवन का शास्वत सत्य है जिसे किसी भी परिस्थिति में टाला नही जा सकता इसिलिए मनुष्य को सद्कर्मो से अपने जीवन को सार्थक बनाना चहिए। साध्वी निष्ठा दीदी ने कहा कि गाय की कृपा से लक्ष्मीजी प्राप्ति होती है। गाय और संत पुरूषों की सानिध्य अनमोल होता है। गाय की सेवा और संत पुरूषों का सानिध्य का कोई विकल्प नही होता।
कथा से पूर्व साध्वी निष्ठा गोंपाल दीदी एवं साध्वी योगेष्वरी दीदी ने गाय की पूजा अर्चना की। जगदीष पूनियां एवं सुरेष पूनिया के सौज्नय से प्रसाद वितरण किया गया। कथा में हरफूल पूनियां,नन्द किषोर ईन्दोंरिया, मनोहर लाल ईन्दोंरिया,धन्नाराम जांगिड़,मनोहर लाल सैनी,भीमसिंह बड़गुर्जर,सुरेष नुआवाला,राधेष्याम खण्डेलवाल,गिरधारी गढ़वाल,प्रहलाद पाराषर,घनष्याम भास्कर,बनवारी लाल जांगिड,बंसन्त कानोड़िया एवं महेष जोषी सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित थे। कथा का समापन शनिवार 4 नवम्बर को हो
डूंडलोद-डूण्डलोद में चल रही गौ कृपा कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित होकर कथा का रसपान कर रहे है। बुधवार को व्यासपीठ से श्रद्वालुओं को सम्बोधित करते हुये साध्वी निष्ठा गांेपाल दीदी ने कहा है कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शुत्र होता हैै। अहंकारी मनुष्य का पतन अवष्यम्भावी है। उन्होनें कहा कि मोत जीवन का शास्वत सत्य है जिसे किसी भी परिस्थिति में टाला नही जा सकता इसिलिए मनुष्य को सद्कर्मो से अपने जीवन को सार्थक बनाना चहिए। साध्वी निष्ठा दीदी ने कहा कि गाय की कृपा से लक्ष्मीजी प्राप्ति होती है। गाय और संत पुरूषों की सानिध्य अनमोल होता है। गाय की सेवा और संत पुरूषों का सानिध्य का कोई विकल्प नही होता।
कथा से पूर्व साध्वी निष्ठा गोंपाल दीदी एवं साध्वी योगेष्वरी दीदी ने गाय की पूजा अर्चना की। जगदीष पूनियां एवं सुरेष पूनिया के सौज्नय से प्रसाद वितरण किया गया। कथा में हरफूल पूनियां,नन्द किषोर ईन्दोंरिया, मनोहर लाल ईन्दोंरिया,धन्नाराम जांगिड़,मनोहर लाल सैनी,भीमसिंह बड़गुर्जर,सुरेष नुआवाला,राधेष्याम खण्डेलवाल,गिरधारी गढ़वाल,प्रहलाद पाराषर,घनष्याम भास्कर,बनवारी लाल जांगिड,बंसन्त कानोड़िया एवं महेष जोषी सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित थे। कथा का समापन शनिवार 4 नवम्बर को हो