खबर - जयंत खांखरा
खेतड़ी -३१ वर्षीय गो पर्यावरण एवं आध्यात्मिक चेतना पदयात्रा बुधवार को खेतड़ी पहुंची तो एक युवा तपस्वी राष्ट्रीय क्रांतिकारी संत जगदीश गोपाल महाराज ने महिलाओं और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विश्व कल्याण के लिए गौ माता के महत्व को समझायाकि बड़े -बड़े संत महात्मा जब पूजा पाठ में बैठते हैं तो गोमूत्र का सेवन करते हैं गंभीर बीमारियों में गोमूत्र की सलाह दी जाती है गाय कचरा खाकर भी गोबर देती है उससे बड़ी से बड़ी पूजा होती है गाय एक समाज की नहीं अपितु सारे जगत की माता हैहम सभी भौतिक विलास में यह भूल गए हैं कि हमें प्राण वायु चाहिए देश की राजधानी में इसलिए विद्यालय बंद कर दिए जाते हैं विद्यार्थियों को विद्यालय जाने से रोका जाता है क्योंकि सांस लेने में दिक्कत हो रही है मतलब पर्यावरण पूरी तरीके से प्रदूषित हो रहा है तो सोचिए उस देश की आगे चलकर क्या हालत होगी ऐसे में हमें पर्यावरण के प्रति सजग रहना चाहिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और गौ माता की रक्षा करनी चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियां संरक्षित हो सके।साथ ही विद्यार्थियों को बताया कि भारतीय धर्म ग्रंथों में विज्ञान का खजाना छुपा हुआ है क्योंकि हजारों वर्ष पहले महर्षिकृणाद ने परमाणु विज्ञान का आविष्कार किया था जिसे आगे चलकर वैज्ञानिकजॉनडाल्टन ने आगे बढ़ाया इसकी व्याख्या श्रीमद्भागवत पुराण में भी बताई गई है।एक विद्यार्थी को सुबहसूर्य की किरण से पहले उठना चाहिए और गौ माता के ५ परिक्रमा करनी चाहिए और रात्रि को गौ माता के दूध का सेवन करना चाहिए जिस से सद्बुद्धि आती है।श्रावण मास में दूध भादवे में छाछऔर एकादशी को गोमूत्र नहीं पीना चाहिए। ३१ वर्षीय गो पर्यावरण एवं आध्यात्मिक चेतना पदयात्रा २०१२ में हल्दीघाटी से शुरु होकर ४ हजार किलोमीटर और ९ हजार से भी ज्यादा गांवो में पैदल चलकर गाय और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए की जा रही है बुधवार को सबसे पहले राजकीय अजीत अस्पताल के पास से सैकड़ों महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली यह कलश यात्रा कस्बे के मुख्य मार्गो से होते हुए राजकीय जय सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंची जहां पर गौ माता की आरती की गई।इस मौके पर गोबर दास महाराज अशोक सिंह शेखावतप्रिंसिपल राधेश्याम जांगीड़ एडवोकेट संजय सुरोलिया सहित सैकड़ों महिलाएं विद्यार्थी और ग्रामीण उपस्थित रहे।
खेतड़ी -३१ वर्षीय गो पर्यावरण एवं आध्यात्मिक चेतना पदयात्रा बुधवार को खेतड़ी पहुंची तो एक युवा तपस्वी राष्ट्रीय क्रांतिकारी संत जगदीश गोपाल महाराज ने महिलाओं और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विश्व कल्याण के लिए गौ माता के महत्व को समझायाकि बड़े -बड़े संत महात्मा जब पूजा पाठ में बैठते हैं तो गोमूत्र का सेवन करते हैं गंभीर बीमारियों में गोमूत्र की सलाह दी जाती है गाय कचरा खाकर भी गोबर देती है उससे बड़ी से बड़ी पूजा होती है गाय एक समाज की नहीं अपितु सारे जगत की माता हैहम सभी भौतिक विलास में यह भूल गए हैं कि हमें प्राण वायु चाहिए देश की राजधानी में इसलिए विद्यालय बंद कर दिए जाते हैं विद्यार्थियों को विद्यालय जाने से रोका जाता है क्योंकि सांस लेने में दिक्कत हो रही है मतलब पर्यावरण पूरी तरीके से प्रदूषित हो रहा है तो सोचिए उस देश की आगे चलकर क्या हालत होगी ऐसे में हमें पर्यावरण के प्रति सजग रहना चाहिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और गौ माता की रक्षा करनी चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियां संरक्षित हो सके।साथ ही विद्यार्थियों को बताया कि भारतीय धर्म ग्रंथों में विज्ञान का खजाना छुपा हुआ है क्योंकि हजारों वर्ष पहले महर्षिकृणाद ने परमाणु विज्ञान का आविष्कार किया था जिसे आगे चलकर वैज्ञानिकजॉनडाल्टन ने आगे बढ़ाया इसकी व्याख्या श्रीमद्भागवत पुराण में भी बताई गई है।एक विद्यार्थी को सुबहसूर्य की किरण से पहले उठना चाहिए और गौ माता के ५ परिक्रमा करनी चाहिए और रात्रि को गौ माता के दूध का सेवन करना चाहिए जिस से सद्बुद्धि आती है।श्रावण मास में दूध भादवे में छाछऔर एकादशी को गोमूत्र नहीं पीना चाहिए। ३१ वर्षीय गो पर्यावरण एवं आध्यात्मिक चेतना पदयात्रा २०१२ में हल्दीघाटी से शुरु होकर ४ हजार किलोमीटर और ९ हजार से भी ज्यादा गांवो में पैदल चलकर गाय और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए की जा रही है बुधवार को सबसे पहले राजकीय अजीत अस्पताल के पास से सैकड़ों महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली यह कलश यात्रा कस्बे के मुख्य मार्गो से होते हुए राजकीय जय सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंची जहां पर गौ माता की आरती की गई।इस मौके पर गोबर दास महाराज अशोक सिंह शेखावतप्रिंसिपल राधेश्याम जांगीड़ एडवोकेट संजय सुरोलिया सहित सैकड़ों महिलाएं विद्यार्थी और ग्रामीण उपस्थित रहे।