देरवाला में सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के विरोध ने जोर पकड़ा, पांच घंटे कलेक्ट्रेट गेट के सामने बैठे रहे ग्रामीण
झुंझुनूं। जिला
परिषद सदस्य दिनेश सुंडा ने कहा है कि झुंझुनूं शेखावाटी के अग्रणी जिलों
में है। लेकिन विडंबना है कि सरकार चूरू और सीकर को तो मेडिकल कॉलेज देती
है और झुंझुनूं के हिस्से आता है कचरे के निस्तारण का प्लांट। सुंडा ने कहा
कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि सरकार झुंझुनूं में ही ट्रीटमेंट
प्लांट लगाना चाहती है तो पूर्व में कुहाड़ू में लगे ट्रीटमेंट प्लांट को
काम में लें। नए प्लांट के लिए कम से कम देरवाला में जगह नहीं दी जाएगी।
सुंडा गुरुवार को कलेक्ट्रेट पर देरवाला सहित 26 गांवों के प्रभावित लोगों
को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले देरवाला में गोगामेड़ी पर सभी 26 गांवों
के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी हिस्सा
लिया। बैठक में सुंडा ने कहा कि वे ग्रामीणों के साथ है। वे ट्रीटमेंट
प्लांट के खिलाफ नहीं है। लेकिन स्थान तय करने से पहले ग्रामीणों की राय,
पंचायत की एनओसी और अन्य चर्चा की जानी थी। लेकिन ऐसा करने की बजाय प्रशासन
राठौड़ी में प्लांट लगाना चाहता है। वो भी तब, जब पहले से जिले में एक
प्लांट सरकारी की मंजूरी से बना हुआ है और बंद पड़ा है। इसके बाद सैंकड़ों
की संख्या में ग्रामीण सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी के नेतृत्व में जिला
मुख्यालय पहुंचे। हाथों में जेळी, लाठी और अन्य सामान लेकर पहुंचे
ग्रामीणों को देखकर एक बार प्रशासन और पुलिस के भी हाथ पैर फूल गए।
ग्रामीणों ने कलेक्टर से मिलने के कलेक्ट्रेट में घुसने की कोशिश की। लेकिन
पुलिस ने गेट बंद कर दिए। जिसके बाद एसडीएम अलका विश्नोई ने ग्रामीणों से
निवेदन किया कि उनका एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिले। लेकिन सभी
ग्रामीणों ने एक साथ मिलने की मांग की और करीब पांच घंटे कलेक्ट्रेट के बंद
गेट के सामने बैठे रहे। इसके बाद एडीएम एमआर बागडिय़ा आए और उन्होंने
ग्रामीणों से बातचीत कर उनका मांग पत्र लिया। साथ ही ग्रामीणों को आश्वस्त
किया कि वे आमजन की भावनाओं से सरकार को अवगत करवाएंगे। इसके बाद ग्रामीणों
ने अपना धरना समाप्त किया। इस मौके पर सुंडा के अलावा देरवाला सरपंच
रेखादेवी, मंगेज मीणा, महेश सैन, कांग्रेस महिला जिलाध्यक्ष बिमला बेनीवाल,
राजकुमार आदि मौजूद थे।
*पंचायत की एनओसी लिए बगैर प्लांट लगाने की तैयारी*
सुंडा
ने इस मौके पर आरोप लगाया कि किसी भी पंचायत में काम करने से पहले उस
पंचायत की एनओसी ली जाती है। लेकिन नगर परिषद ने देरवाला को अपना क्षेत्र
मानते हुए पंचायत को पूछना तक उचित नहीं समझा और कागजों में प्रक्रिया शुरू
कर खुद ही जमीन आवंटन करवा लिया। जो गलत है।
*ये है देरवाला में प्लांट लगाने की सारी कहानी*
शहर
के कचरे का निस्तारण करने के लिए देरवाला में सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट
प्लांट बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना है। कलेक्टर ने देरवाला में
खसरा नंबर 522 में इस साल 13 हैक्टेयर जमीन आबंटित की थी। ट्रीटमेंट
प्लांट आठ माह में बनना है। इससे रोजाना शहर के 80 टन कचरे का निस्तारण हो
सकेगा। इसी तरह बायो वेस्ट कचरा ट्रीटमेंट प्लांट भी लगेगा। इससे सीकर,
झुंझुनूं चूरू जिले के अस्पतालों, क्लिनिक, मेडिकल सेंटरों से बायो वेस्ट
एकत्रित कर ट्रीट किया जाएगा। यह कार्य एक निजी कंपनी को दिया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि जिस जगह ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है उसके
समीप गोगामेड़ी है। बालाजी मंदिर है। पंचायत के तालाब कुंड बने हुए है।
मंदिर होने के कारण श्रद्धालुओं का आना जाना रहता है। लोगों का कहना है कि
कचरा निस्तारण प्लांट लगने से यहां गंदगी होगी। बदबू के कारण लोगों का जीना
मुहाल होगा।