पत्नि ने पति के मरते समय का दिया हुआ वचन निभाया

खबर - हर्ष स्वामी
एक विधवा माॅ की गई बेटी बचाओ-बेटी पढाओ की पहल की हो रही सराहना
दो बेटियों पुजा व शर्मिला की घोड़ी पर बैठा कर निकाली बनौरी
पति स्व बाबुलाल का वचन- मेरी बेटियों का पालनपोषण को लडको की तरह
मेरी बेटीयों की शादी में घोडी पर बैठकर पुरे गांव में निकाली जाये बनौरी
माॅ प्रमिला ने माकडो गांव में दोनो बेटियों की घोडी पर निकाली बनौरी
विधवा माॅ ने स्कूल में खाना बनाने की मजदूरी करके बेटियों को दी अच्छी शिक्षा
बेटियों की बनौरी में पूरा गांव हुआ शामिल, पहल की सराहना
सिंघाना उपतहसील के माकडो गांव का मामला
सिंघाना उपतहसील के माकङो गांव में एक विधवा मा ने दो बेटियों की ऐसी शादी कर रही है जो गांव में मिसाल बन गई है। यह मिसाल भी बेटी बचाओ-बेटी पढाओ के अभियान और स्वर्गीय पति की वजह से बनी है। माकडो गांव की प्रमिला ने अपने पति बाबुलाल के देहावसान के समय ऐसा वचन लिया था जो पूरा करने के लिए स्कूल में बच्चों का खाना बनाने की मजदूरी की। यह  वचन था माकडो के बाबूलाल शर्मा का। मामले के अनुसार फरीदाबाद की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते बाबुलाल शर्मा की अक्समात ही 20 साल पहले उनकी मौत हो गई थी। मरते समय उसने अपने पत्नी प्रमिला को कहा था कि बेटियों की भी पढ़ाई व शादी बेटों की तरह ही करना है। कभी यह फर्क नही करना कि यह बेटा नही बेटिया है। उस वचन को निभाने के लिए प्रमिला देवी ने पहले दोनों बेटियों पुजा व शर्मिला को ग्रेजुएशन तक पढ़ाया। फिर बेटियों की शादी करने की बात आई तो उन्होंने निश्चय किया कि बेटियों पुजा व शर्मिला की शादी भी बेटों की तरह ही करेंगे। जिसके बाद उसने दोनों बेटियों की बनोरी घोड़ी पर निकालने का निश्चय किया। जब दोनों बेटियों की बनोरी घोड़ी पर बैठाकर निकालने की बात कही तो पहले तो गांव में इस पर सवाल उठाए क्योंकि माकङो गांव में अभी तक किसी भी बेटी की घोड़ी पर बनोरी नही निकली थी। सिर्फ बेटों की ही बनौरी घोड़ी पर निकलती थी। लेकिन माॅ को तो अपने पति का वचन पुरा करना था उन्होने रिश्तेदारों व गांव के मौजूद लोगों से घोडी व बनोरी निकालने की बात को लेकर अडी रही। फिर रिश्तेदारों व गांव के मौजूद लोगों ने बेटियों की घोड़ी पर बनोरी निकालने की बात पर खुशी प्रकट की और देखते ही देखते बसंत पंचमी पर होने वाली पूजा व शर्मिला की शादी के एक दिन पहले डीजे के साथ घोड़ियों पर बिठाकर बनोरी निकाली। जिसका नजारा देखने के लिए पूरा गांव उमड पडा। 
बेटी बचाओ- बेटी बढाओं की पहल 
माॅ प्रमीला ने बताया कि मेरे चार बेटियां व एक बेटा है। जिसके बावजुद भी मैने कभी बेटियों में फर्क नही किया। बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलवाने के लिए मजदुरी भी की। उसी दर्ढ निश्चय के चलते आज दोनो बेटिया ग्रेजुएट है तथा सभी को अच्छी पढाई करवाई गई। आज मेरे पति का मौजूद नही होने की वजह से गम जरूर है लेकिन पति का आखिरी वचन पुरा कर दिया है।

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