गुरुवार, 11 जनवरी 2018

विवेकानन्द नाम खेतडी की देन, अब खेतडी पहचाना जाता विवेकानंद के नाम

खबर-हर्ष स्वामी/जयंत खांखरा / नरेंद्र स्वामी
पहली मुलाकात में स्वामी विवेकानंद व राजा अजितसिंह बन गये थे गहरे दोस्त
खेतडी।
जहां एक तरफ पूरा विश्व स्वामी विवेकानंद का जन्म दिवस मना रहा है पूरे विश्व में स्वामी विवेकानंद के 156 वे जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर स्कूल कॉलेज और धार्मिक संस्थाओं में अनेको कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं वही राजस्थान के शेखावाटी में स्थित खेतड़ी में स्वामी विवेकानंद से जुड़ी हुई यादें आज भी ताजा है स्वामी विवेकानंद खेतड़ी में तीन बार आए खेतड़ी नरेश और स्वामी विवेकानंद के इतने अच्छे और मधुर संबंध थे जिसकी याद में एक विश्वस्तरीय संग्रहालय का निर्माण खेतड़ी में किया जा रहा है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर सकते हैं। खेतड़ी को स्वामी विवेकानंद की नगरी के नाम से जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद व खेतडी के तत्कालिन राजा अजित सिंह की गहरी दोस्ती की चर्चा आज भी चैपालो पर होती है। स्वामी विवेकांनद द्वारा शिकागो में हिन्दु धर्म की पताका फहराने के बाद 12 दिसम्बर 1897 को खेतडी आगमन को खेतडी के लोगो ने त्यौहार के रूप में मनाया था। मुन्शी जगमोहन बबाई से बग्गी में बैठाकर स्वामी विवेकानंद जी को शिकागो से लौटने पर खेतडी ले कर आये थे। स्वामी जी का भव्य स्वागत किया था। शहर चारो तरफ से रोशनी से जगमग किया जाता है। इसी प्रकार स्वामी विवेकानंद की जंयती भी खेतड़ीवासी बड़े धुमधाम से मनाते है।

राजा अजितसिंह और स्वामी विवेकानंद की पहली मुलाकात
राजा अजित सिंह की मुलाकाज स्वामी विवेकानंद से पहली मुलाकात माऊंट आबु में हुई थी। राजा अजीतसिंह माऊंट आबु गए हुए थे उसी दौरान स्वामी विवेकानंद भी ठाकुर मुकूंदसिंह के पास रूके हुए थे। मुन्शी जगमोहन ने स्वामी विवेकानंद के विचारो से प्रभावित होकर राजा अजीतसिंह से मुलाकात करवाई। राजा अजीतसिंह स्वामी विवेकानंद से इतने प्रभावित हुए कि पहली ही मुलाकात में दोनो के बीच घनिष्ठ सम्बंध स्थापित हो गये। राजा अजीतसिंह 7 अगस्त 1891 को खेतड़ी आते समय स्वामी विवेकानंद को भी साथ ले आये। करीब तीन माह तक स्वामी विवेकानंद खेतड़ी रूके।

गुरू शिष्य का रिश्ता
स्वामी विवेकानंद राजा अजीतसिंह को खगोल विज्ञान पढाते थे। जिसके चलते खेतडी दरबार में एक लेबोरट्ररी व छत पर एक टेलीस्कॉप लगाया गया। स्वामी विवेकानंद राजा अजीतसिंह को खेगोल विज्ञान का अध्यन करवाने लगे जिससे दोनों में मित्रता के साथ साथ गुरू-शिष्य का रिश्ता भी बन गया।

स्वामी विवेकानंद ने नृत्यकी को मां से किया सम्मानित

राजा अजीतसिंह के दरबार में नृत्यकियों का नत्य चल रहा था जिसे देख कर स्वामी विवेकानंद वापस जाने लगे तो एक नृत्यीका ने आग्रह किया कि मै आप के सामने कुछ सनाना चाहती हैु। यह सुन कर स्वामी विवेकानंद एक बार तो विचलित हुए लेकिन नृत्यकी का आग्रह पर वह दरबार में बैठ गए। नृत्यकी ने प्रभुजी में अवगुण चित ना धरो भजप सुनाया जिसे सुन कर स्वामी विवेकानंद भाव विमोर होकर नृत्यकी को माता कह कर सम्मानित किया। 

स्वामी और खेतडी नरेश का दुसरी बार मिलन
राजा अजीतसिंह के पुत्र रत्न होने पर पुरी रियासत में खुशी का माहोल था। पुत्र रत्न के समारोह में शामिल होने के लिए राजा अजीतसिंह ने स्वामी विवेकानंद को मद्रास से लाने के लिए मुंशी जगमोहन लनिमंत्रण देकर भेजा। राजा अजीतसिंह के निमृत्रण पर स्वामी विवेकानंद दुसरी बार 21अप्रेल 1893 को खेतडी आये।

विवेकानन्द नाम खेतडी की देन
स्वामी विवेकानंद का पहले नाम स्वामी विविदिशानंद था। विश्व धर्म सम्मेलन शिकांगों में जाने से पहले राजा अजीतसिंह ने कहा कि आपके नाम का उच्चारण सही तरिके से नही किया जा सकता इस लिए आज से आप को स्वामी विवेकानंद के नाम से पहचाना जाएगा। राजा अजितसिंह ने स्वामी विवेकानंद को विश्व धर्म सम्मेलन शिकांगो में जाने से पहले पहनावा पगडी व पोषाक दी।

तीसरी बार का मिलन अदभुद
अमेरिका में शुन्य पर बोलने वाले स्वामी विवेकानन्द जब भारत का परचम लहराकर भारत आये तो खेतड़ी के तत्कालिन राजा अजीतसिंह ने 12दिसम्बर 1897 को स्वामी विवेकानंद को विशेष आग्रह कर खेतड़ी बुलाया। स्वामी विवेकानंद के खतड़ी आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया। 40 मन तेल के दियों से पूरी खेतडी में रोशनी की गयी थी। साथ ही पन्ना शाह तालाब पर पूरी रियासत का प्रितिभोज का आयोजन किया गया था।

स्वामी विवेकानंद पर जुल्फीकार ने भी लिखी है चार पुस्तक
भीमसर के रहने वाले झुल्फीकार चार साल तक मिशन में रहकर स्वामी विवेकानंद पर शोध कर पीएचडी की। झुल्फिकार ने स्वामी विवेकानंद एवं रामकृष्ण मिशन खेतड़ी, रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन, स्वामी विवेकानंद एवं राजस्थान की कुछ प्ररेक घटनाएं व स्वामी विवेकानंद चिंतन से प्ररेरित बंगलादेश ढ़ाका का अध्यन शिर्षक नाम से पुस्तक लिख्ी है। झुल्फिकार ने चालिस मिशन के मठों में यात्रा की है जिन्में प्रमुख रूप से बागला देश, श्रीलंका व सिंगापुर भसी शामिल है। झुल्फिकार को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। झुल्फिकार को कायमखानी समाज का सर्वोच कायम रत्न भी मिल चुका है। 

22 जनवरी को आ सकते पीएम
रामकृषण मिशन के संग्राहलय का उदघाटन 22 जनवरी को  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने की संभावनाएं है। प्रधानमंत्री सर्व प्रथम खेतड़ी राजस्थान के विधानसभा चुनाव के समय आए थे तब वह रामकृष्ण मिशन भी गए थे। उस समय संग्रहालय का निर्माण कार्य चल रहा था। संग्रहालय का कार्य अब पुरा हो गया है। छह करोड़ की लागत से स्वामी विवेकानंद की स्मृती एवं भव्य लाईब्रेरी बनाया गया है। सचिव स्वामी आत्मानिष्ठानंद ने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेतडी आये थे तब वह मिशन से काफी प्रभावित हुए थे उन्होंने दुबारा खेतडी आने की बात कही थी। पीएम मोदी से बात कर उन्हे अपना वादा याद दिलवाते हुए खेतडी आने का आग्रह किया गया है।


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