गुरुवार, 20 सितंबर 2018

आज भी जीवित है थानकों की परम्पराऐं


खबर - जीतेन्द्र वर्मा 
तेजाजी के मेले में उमड़े श्रद्धालु
बून्दी । तेजा दशमी के अवसर पर दर्शन के लिये उमड़े दर्शनार्थी, दूध चढ़ा कर की पूजा। घरो में बनाए लड्डू बाटी मंदिरो में लगाया भोग। सुबह से ही दिखा लोगो में जोरदार उत्साह। 
लोक देवता श्री तेजाजी महाराज के श्री तेजाजी महाराज के पावन पर्व के रूप में मनाई जाने वाले तेजा दशमी के अवसर पर बून्दी के सभी थानकों पर मेलो का आयोजन हुआ। अपनी अपनी परम्परों के अनुसार पूजा अर्चना की गई। बून्दी बोहरा कुंड के पास स्थित वीर तेजाजी महाराज मंदिर पर पर भी मेले का आयोजन किया गया। प्रेस प्रवक्ता जितेन्द्र वर्मा ने बताया कि प्रति वर्ष की भांति इस बार भी प्रातः 4 बजे विशेष पूजा अर्चना कर मेला प्रारम्भ किया। सुबह से ही दर्शनार्थियों की भीड़ रही। 12 बजे मेघवाल मोहल्ले से झंडिया निकाली जो 12 बजे मंदिर पहुची जहाँ पूजन कर उन्हें मंदिर पर स्थापित किया गया। जिसके बाद देह में तेजाजी ने दर्शन दिए और वर्ष भर सर्प दंश के लिये बंधी दस्सियों को कटवाया, तेजाजी ने अलगोजा गायक कलाकारों मध्य जा कर अलगोजा सुना और प्रसादी वितरित की। तेजाजी मेला परिवार सभी व्यवस्था को उचित संचालन हेतु प्रयासरत रहा। शाम 7 बजे आरती की गई जिसमें बचे हुए लोगो की दस्सिया काटी गई। 
मंदिर पुजारी सोहन लाल ने बताया की बरसों से चली आ रही परंपराओं को हम यथावत संचालित कर रहे है। उन्होंने बताया कि तेजाजी के इस मंदिर के चमत्कारों को पूर्व महाराज बहादुर सिंह जी ने भी देखा था जिसके बाद जब तक वो रहे तेज दशमी पर पहली पूजा राज परिवार की और से आती थी। मंदिर में डॉ द्वारा मृत घोषित किये सर्प दंश के लोगो को ठीक होते देखा है जिसका गवाह पूरा मोहल्ला है। बून्दी ही नहीं राज्य के बाहर तक के लोग तेजा दशमी पर दर्शन करने पहुचते है और कच्चा दूध चढ़ाते है।
मोहल्ले के बुजुर्ग उद्दा लाल गुर्जर ने अपनी यादो को सुनाते हुए कहा कि एक समय था जब हर कोई मेले में भाग लेता था और देवता से जुड़े किसी भी कार्य करने में हर्ष और गौरव महसूस करता था लेकिन बदलते परिवेश में लोगो की भूमिका कार्यकर्त्ता की न होकर बस दर्शक की रह गई है इसलिये कई मंदिरो की बरसो पुरानी परम्पराऐं या तो नष्ट हो गई या इस कगार पर है लेकिन इस थानक से जुडी किसी भी परम्परा में बदलाव नहीं हुआ। समय और लोग बदल गए, गायक और वादक नहीं मिलते, और वर्त्तमान परिवेश में आर्थिक समस्याए सामने आती है लेकिन फिर भी पुजारी परिवार जी तोड़ मेहनत करके काम संसाधनों के बावजूद भो अपनी परम्परों को बनाए रखते हुए दिनो दिन मेले को भव्य बना रहे है।

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