शनिवार, 15 दिसंबर 2018

प्रतिस्पर्धा का दबाव और कम उम्र में टेक्नोलॉजी का अत्यधिक उपयोग देश के 40% युवाओं को बना रहा है मानसिक रोगी- डॉक्टर कपूर थालौर

खबर - जयन्त खाँखरा
खेतड़ी-दिनभर की भागदौड़ और काम करने की अत्यधिक प्रतिस्पर्धा तथा टेक्नोलॉजी का मनुष्य जीवन पर अधिक प्रभावशाली होना खासकर 14 साल से कम उम्र के बच्चों में नित नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना और आपस में प्रतिस्पर्धा तथा पैरंट्स का बच्चों पर हर क्षेत्र में अव्वल आने का मानसिक दबाव उन्हें इस प्रकार की बीमारी की ओर अग्रसर कर रहा है जो दबे पांव भारत में तेजी से  अपने पांव पसार रही है। यह एक ऐसी बीमारी है जो कि शुरुआती दौर में रोगी को एहसास ही नहीं होने देती है और धीरे-धीरे यह बीमारी युवाओं को अपने जाल में फांस लेती है। वैसे तो प्रकृति ने मनुष्य का स्वभाव खुश रहना ही बनाया है लेकिन बदलता हुआ वातावरण मनुष्य के दिमाग पर हावी होती टेक्नोलॉजी एवं बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा एक बच्चे का बचपन जो खेलकूद से प्रारंभ होना चाहिए उसकी वजह प्रतिस्पर्धा में वह मानसिक रोग की ओर अग्रसर होता जा रहा है। इसका पता जब चलता है ,जब मनुष्य की सामान्य दिनचर्या में बदलाव देखने को मिलता है इसके बारे में स्वयं को इसका एहसास ही नहीं हो पाता है अचानक  बच्चा अकेले में रहना, कम भोजन करना, नींद नहीं आना, सोसाइटी से दूर रहना, एक अपनी कृत्रिम दुनिया बना लेना जैसी विभिन्नता उसमें नजर आने लगती है इस पर माता पिता को तुरंत मनोरोग चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए यह बात झुंझुनू जिले के प्रसिद्ध मनोरोग चिकित्सक कपूर थालौर ने शनिवार को राजकीय अजीत अस्पताल खेतड़ी में लगाए गए मनोरोग चिकित्सा शिविर में कही। साथ ही डॉक्टर कपूर ने कहा कि एक तरफ जहां टेक्नोलॉजी मनुष्य के जीवन को आसान बना रही है वहीं दूसरी तरफ इसके नकारात्मक प्रभाव भी सबसे ज्यादा युवाओं में देखने को मिल रहा है कई युवा तो इस टेक्नोलॉजी के इतने आदी हो चुके हैं कि इनको टेक्नोलॉजी से छुटकारा दिलाने के लिए उनका इलाज करवाया जा रहा है। भारत में 40% युवा मानसिक रोग की ओर अग्रसर होते नजर आ रहे हैं।
8 घंटे की नींद ले और आपस में ग्रुप डिस्कशन करना चाहिए
 विद्यार्थियों को परीक्षा के दिनों में कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए सुबह उठकर व्यायाम तथा खेलकूद में भी भाग लेना चाहिए। मोबाइल तथा टेक्नोलॉजी का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि सबसे ज्यादा सोशल मीडिया का कम उम्र में इस्तेमाल करना मानसिक रोग का बहुत बड़ा कारण बनता जा रहा है। पोस्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। विद्यार्थियों को आपस में ग्रुप डिस्कशन करना चाहिए जिससे उनका बौद्धिक विकास हो सके और आपस में संप्रेषण बढे और कंपटीशन की भावना ना रखते हुए जिस वस्तु विशेष में उनकी रुचि है उस तरफ अपना ध्यान केंद्रित कर सब्जेक्ट चुने ।
 जागरूकता फैला कर मनोरोग पर लगाए अंकुश

इस रोग से बचने के लिए सबसे बड़ा उपाय यह है कि समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए। बच्चों पर विशेष नजर रखनी चाहिए उनको अकेले में ना रहने दें। और उनकी दिनचर्या पर विशेष नजर रखें। यह भी ध्यान रखें कि कहीं वे नशे की और तो अग्रसर नहीं हो रहे है। उन्होंने मरीजों का इलाज करते हुए बताया कि इस रोग से सबसे अधिक बचाव का तरीका यही है कि हर माता-पिता जागरूक बने और आसपास के लोगों को भी जागरूक करें क्योंकि स्वस्त दिमाग ही स्वच्छ भारत का निर्माण करेगा। मनोरोग चिकित्सा कैंप में डॉक्टर कपूर ने 32 मरीजों की जांच कर चिकित्सा परामर्श दिया इस मौके पर साइकैट्रिक नर्स राजेंद्र कुमार, शीशराम गुर्जर ,लीलाराम ,सिकंदर ,सुशीला गुर्जर, सुमन मेहरानिया सहित कई चिकित्सा स्टाफ व मरीज मौजूद रहे ।

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