जयपुर। विधायक एवं पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार शिक्षा के कांग्रेसीकरण और तुष्टिकरण में जुट गई है। शिक्षा मंत्री द्वारा महाराणा प्रताप को महान स्वीकार ना करना देश के बलिदानियों और वीरों का अपमान है, देशद्रोह है। देवनानी ने कहा कि महाराणा प्रताप देश की शान है। क्योंकि उन्होंने आक्रांता अकबर के खिलाफ स्वाधीनता के लिए लड़ाई लड़ी है।
उन्होंने कहा कि हमने पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास, महाराजा सूरजमल, पृथ्वीराज चैहान, गोविन्द गुरू, वीर सावरकर, भगत सिंह, दीनदयाल उपाध्याय, डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, डाॅ. भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिबा फुले, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, भास्कराचार्य, आर्यभट्ट, महावीर, कपिल मुनि, गोगाजी, तेजाजी, दादू दयाल, निम्बार्काचार्य, महर्षि दधीच तथा परशुराम सहित अनेक महापुरूषों व समाज सुधारकों के विषय को पाठ्यक्रम में जोड़ा और बढ़ाया था।
उन्होंने कहा कि कोठारी आयोग के अनुसार अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा के मूल विचार को यूरोप केन्द्रित किया था, जिसे भारत केन्द्रित करना आवश्यक है। शिक्षा का लक्ष्य ज्ञानवान, विचारवान, सुयोग्य, सुसंस्कृत, देशभक्त नागरिकों का निर्माण करना होता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज में भगवा रंग है, उगते हुए सूर्य का रंग भगवा होता है, सन्यासियों के वस्त्र भगवा होते है तथा भगवा रंग त्याग व समर्पण का प्रतीक है। इसलिए कांग्रेस यह बतायें कि उसे भगवा रंग से चिढ़ क्यों है।
देवनानी ने शिक्षा मंत्री के शिक्षा का बंटाधार करने वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में 26वें स्थान से दूसरे स्थान पर लाना, बोर्ड परीक्षा परिणाम 57 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत करना, नामांकन बढ़ाना तथा स्टाफ की कमी को दूर करने को यदि बंटाधार कहा जायेगा तो शिक्षा मंत्री की बुद्धि पर प्रश्न खड़े होंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय प्रदेश में 4,400 विद्यालय उच्च माध्यमिक स्तर के थे, जिनको बढ़ाकर हमने 13,000 से अधिक किया। प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत तक उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाए, आँगनबाड़ी केन्द्रों को विद्यालयों से जोड़ा, अच्छे भवन बनाए। इस प्रकार अनेक कार्य करते हुए प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का हमने काम किया। अच्छा होता कि शिक्षा मंत्री इन विकास कार्यों को आगे बढ़ाने की बात करते।
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