खबर - प्रशांत गौड़
जयपुर। राजस्थान की 15वीं विधानसभा के पहले सत्र के शुरू होने से पहले ही राज्य सरकार की परेशानियां विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने बढ़ा दी है। मेघवाल ने विधानसभा के नियमों अनुसार शॉर्टटम नोटिस पर सत्र बुलाए जाने का विरोध करते हुए राज्यपाल कल्याण सिंह तक अपनी बात पहुंचाई है।
दरअसल विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल कानून की बारकियां जानते है। बीते पंाच साल में विपक्ष को अपनी कला और सैवाधानिक बारकियों की पकड़ होने के कारण निरूतर करते आए है अब उनके इस मास्टर स्ट्रोक से सत्ता पक्ष की परेशानियां अभी से बढ़ गई है।प्रदेश में संभवतरू ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार के कम समय नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाने का विधानसभा अध्यक्ष ने विरोध किया है। इस मामले में राजभवन में राज्यपाल कल्याण सिंह के समक्ष विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने तमाम बाते रखी।विधानसभा स्पीकर मेघवाल ने राज्यपाल को संसदीय परम्पराओं में सत्र बुलाने के नियमों से भी अवगत करवाया है। सामान्यतया सत्र आहूत करने की समयावधि 21 दिन की है। शॉट टर्म नोटिस पर सत्र आहूत करने के लिए सरकार को अध्यक्ष से चर्चा करनी होती है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष और सरकार के बीच टकराव होता दिख रहा है।
नई भूमिका में दिखे मेघवाल
भाजपा पार्टी में इस बात की हलचल रही है कि विधानसभा अध्यक्ष अपनी लाइन से हटकर अलग रूप में दिखे इसके सियासी संकेत भी यह माने जा रहे है कि अगला नेता प्रतिपक्ष शायद पार्टी ने कैलाश मेघवाल को बनाने का मानस बना लिया है और उनके नाम पर मुहर लग सकती है।
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