लेख - सिकन्दर ( प्रधानाध्यापक )
अभी हाल ही में विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम आए हैं और कुछ माता-पिता/अभिभावक अपने बच्चों के परिणाम से खुश नजर आ रहे हैं तो कुछ अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित भी नजर आ रहे हैं। परिणाम कैसा रहा, तैयारी कैसी रही, कितने नम्बर मिले इन पर चर्चाएं होती है लेकिन मेरा_ _विषय यह नहीं है। मेरा विषय बच्चों की सुरक्षा को लेकर है। वर्तमान दौर में लोगों का सोशल मीडिया की तरफ इतना (जरूरत से ज्यादा) झुकाव है कि वे अपनी निजी से निजी जानकारियां भी सोशल मीडिया पर अपलोड कर देते हैं। वे जानकारियां जो उनको एवं उनके परिचितों को ही पता होनी चाहिए, वे सूचनाएं सरेआम फैल जाती हैं। ऐसी बहुत सी जानबूझकर की जाने वाली गलतियां है जिसके परिणाम_ _भुगतने पर प्रशासन व सरकार पर दोष मढ़कर हम अपनी जिम्मेदारी से बचने की नाकाम कोशिश करते है। जैसे वोट देते समय EVM का फोटो, अपनी निजी जानकारियां,हम कहां जा रहे है, कहां रह रहे है, अपने निजी दस्तावेज आदि सोशल मीडिया पर अपलोड करके हम अपनी खोखली व विचारहीन सामाजिकता का प्रदर्शन करते है। इन व्यक्तिगत सूचनाओं में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है विद्यार्थी की अंक तालिका जिसमें विद्यार्थी का नाम, माता-पिता या_ _अभिभावक का नाम, गांव व शहर का नाम, घर का पता ,मोबाइल नंबर, जन्म तिथि, जाति, स्कूल का नाम आदि विभिन्न जानकारियां होती है जो उन असामाजिक_ _तत्वों के लिए सरलता का काम करती है जो आपके बच्चे को चोट पहुंचाना चाहते हैं (जैसे बच्चों का अगवा होना)। ये सभी सूचनाएं_ _उन अपराधियों का काम आसान करती है जो आघात पहुंचाने के लिए तैयार बैठे है। अखबार में आये दिन ऐसी घटनाओं का जिक्र होता है जिसमें बच्चों को शिकार बनाया जा रहा है। हम देखते है कि ज्यादातर बच्चों की_ _किडनैपिंग स्कूल व घर के बीच होती है। इन घटनाओं का शिकार कोई भी बन सकता है, लेकिन हम ऐसे कृत्य करके इन घटनाओं के प्रति पहल कर रहे है।_
_पढे़-लिखे अभिभावक जो कि हर समय अपने बच्चों के जीवन व भविष्य के प्रति विद्यालय प्रशासन व शिक्षकों को उनके कर्तव्य व अपनी शिकायतों का बोध_ _करवाते रहते है लेकिन वे ही अभिभावक बिना एक पल सोचे, विचारे देखा-देखी में अपना लापरवाही पूर्ण रवैया प्रदर्शित कर कर देते है। इन अभिभावकों को पता होना चाहिए कि विद्यालय परिवार विद्यार्थी से संबंधित किसी भी प्रकार की सूचनाएं माता-पिता व अभिभावक के अलावा अन्य किसी को भी प्रदान नहीं करता है। अत: मेरा कहना यह है कि सोशल मीडिया का उपयोग करने पर अपने विवेक से काम लें, विचार करें कि हम सोशल मीडिया पर क्या शेयर करने जा रहे है?? सभी माता-पिता/अभिभावक से निवेदन है कि जागरूक बनें और जागरूकता_ का माहौल पैदा करें। _अंत में इतना ही कहता हूं कि 'बचाव ही सर्वोत्तम उपाय है।'_
एक शिक्षक जो बच्चों के जीवन व भविष्य को लेकर चिंतित है...
कलरों की ढाणी (जालोड़ा पोकरणा)
जैसलमेर
