खबर जितेंद्र कुमार वर्मा बूंदी
बूँदी। आषाढ़ माह में हुई बारिश के चलते किसानों ने अपने खेतों में बढ़-चढ़कर धान की फसल लगाई थी। बूंदी के अधिकतर हिस्से में धान की अत्यधिक पैदावार होती है। बूंदी में होने वाला बासमती चावल खाड़ी देशों में विक्रय किया जाता है। लेकिन कहा भी जाता है कि कृषि एक जुआ है। वर्षा अच्छी हुई तो फायदा और वर्षा ना हुई तो नुकसान। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग के चलते कहीं अत्यधिक बारिश तो कहीं सूखा हो रहा है बूंदी में भी आषाढ़ माह में कुछ दिन लगातार अच्छी बारिश हुई जिससे किसानों के चेहरों पर खुशी आ गई थी और उन्होंने धान की फसल होती लेकिन बीते 10 दिनों से बारिश की एक बूंद नहीं गिरी। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं उनकी संख्या बहुत कम है और अधिकतर लोग सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर है अगर आने वाले कुछ दिनों में बारिश नहीं होती तो फसल बर्बाद हो जाएगी जिसके चलते किसानों की हालत और खराब हो जाएगी।
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