शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

वागड़ नेचर क्लब ने शुरू किया ‘एक्सप्लोरिंग बर्ड्स इन बांसवाड़ा’


दुर्लभ प्रजाति के रेड क्रस्टेड पोचार्ड की मौजूदगी से अभिभूत हुए पक्षीप्रेमी
बांसवाड़ा-जिले की प्रदूषणमुक्त आबोहवा न सिर्फ स्थानीय अपितु दूरस्थ देशों के प्रवासी पक्षियों को भी बेहद रास आ रही है, इसी का ताजा उदाहरण बांसवाड़ा जिले के जलाशयों पर दिखाई दे रहा है जहां पर वागड़ नेचर क्लब के सदस्यों को कभी इक्का दुक्का दिखने वाले दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी रेड क्रस्टेड पोचार्ड की भारी संख्या में उपस्थिति दिखाई दी।  
यह दुर्लभ प्रवासी पक्षी वागड़ नेचर क्लब के सदस्यों डॉ. कमलेश शर्मा तथा दिनेश जैन ने बड़गांव व तलवाड़ा के जलाशयों में शुक्रवार को एक्सप्लोरिंग बर्ड्स इन बांसवाड़ा कार्यक्रम के शुभारंभ पर बर्डवॉचिंग दौरान देखें और इनकी फोटोग्राफी भी की। इन पक्षियों की एक साथ इतनी बड़ी संख्या में दिखाई देने पर पक्षीप्रेमियों ने खुशी जताई है। डॉ. शर्मा ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में रेड क्रस्टेड पोचार्ड का दिखाई देने का मुख्य कारण यहां के जलाशयों में पाई जाने वाली वनस्पति ही है। उन्होंने बताया कि इन पक्षियों की जलक्रीड़ाएं पक्षीप्रेमियों को बड़ी लुभा रही है।

लाल सिर और काले धड़ से लगता है जैसे काला जैकेट पहना है:  
राजपूताना नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी भरतपुर के संस्थापक एवं प्रदेश के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. एस.पी.मेहरा ने बताया कि रेड क्रस्टेड पोचार्ड प्रवासी पक्षी है और यह रशिया व तुर्कमेनिस्तान से यहां सर्दियां बिताने आता है। गहरे पानी को पसंद करने वाला सुंदर दिखाई देने वाला यह पक्षी डुबकी लगाने वाला पक्षी है। लाल सिर के साथ काले धड़ के कारण यह मानो सर्दियों से बचने वाले काला जैकेट पहना सा दिखाई देता है । उन्होंने बताया कि पूर्व में वर्ष 2011 में यह दक्षिणी राजस्थान में दिखाई दिया था औैर सामान्य तौर पर यह प्रतिवर्ष नहीं दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि इसका इतनी बड़ी संख्या में दिखाई देना वागड़ अंचल की प्रदूषणमुक्त आबोहवा का ही प्रभाव माना जा सकता है।  उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व गत साल जनवरी माह में वन विभाग, बांसवाड़ा के तत्वावधान में आयोजित राजस्थान जलीय पक्षी गणना दौरान जंतोड़ा तालाब में मात्र एक तथा तलवाड़ा के पातेला तालाब में एक दर्जन से अधिक रेड क्रस्टेड पोचार्ड दिखाई दिए थे।

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