शनिवार, 26 जून 2021

कुदरत को बचाने के विधान में जुटे एक विधि अधिकारी


घांघू के वरिष्ठ विधि अधिकारी धर्मपाल शर्मा ने अपने खेत में लगाए सैकड़ों पेड़

चूरू। आधुनिक जीवन की आपाधापी और विकास की अंधी दौड़ में जहां एक तरफ हम सभी सीमेंट-कंकरीट के जंगल बनाने में जुटे हैं, वहीं कुछ लोग हैं जो इस धरती को खूबसूरत बनाए रखने के लिए पूरी शिद्दत के साथ बिना किसी प्रचार-प्रसार के चुपचाप अपना काम करने में लगे हैं। ऎसे ही एक शख्स हैं गांव घांघू के धर्मपाल शर्मा, जो पेशे से भले ही मेडिकल कॉलेज में वरिष्ठ विधि अधिकारी हैं, लेकिन पेड़ लगाने के प्रति इनका जुनून कुछ ऎसा है कि नौकरी के बाद बचने वाले समय का उपयोग वे अपने खेत में पेड़ लगाने और उनकी देखभाल में ही करते हैं।


प्रकृति के संरक्षण के विधान को साधने में जुटे विधि अधिकारी धर्मपाल शर्मा अपने इस जुनून के बारे में बताते हैं कि एक किसान परिवार से जुड़े होने के कारण बचपन ही उन्हें पेड़ लगाने का शौक रहा। धीरे-धीरे बड़े होने पर समझ आया कि पेड़-पौधे हमारे पारिस्थितिकीय संतुलन के लिए कितने जरूरी हैं। तब इन्हें अपने खेत में पौधे लगाने का खयाल आया और पिछले सात-आठ साल से वे हर साल बड़ी संख्या में अपने खेत में पौधे लगाते हैं। यही वजह है कि इनके खेत में अब विभिन्न प्रजातियों के 250 से अधिक पेड़ खड़े हैं। इनमें खजूर के पेड़ बहुतायत में हैं, जो इन्होंने खुद बीज से ही पौध तैयार कर लगाए हैं। इसके अलावा शीशम, सहजन, थाई एपल, इमली, आंवला, खजूर, जामुन, अरड़ू, खेजड़ी, नींबू, अनार, फिरांस आदि फलदार व छायादार वृक्ष खेत की शोभा बढा रहे हैं। धर्मपाल कहते हैं कि प्रकृति हमें इतना कुछ देती हैं। हम जरा भी प्रकृति का उपकार चुकाना चाहें तो पौधरोपण इसका सबसे बेहतरीन जरिया हो सकता है। नितांत निजी प्रयासों से सैकड़ों पौधों की देखभाल कर रहे धर्मपाल का कहना है कि उनका कहना है कि आने वाले समय में वे और अधिक व्यवस्थित ढंग से फलदार व औषधीय महत्व के पौधे लगाने की रूपरेखा बना रहे हैं।


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