13वें श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति संरक्षण पुरस्कार - 2025:
जयपुर: रणथंभौर की प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षण संस्था टाइगर वॉच द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किए जाने वाले "श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार" में इस वर्ष डॉ. कमलेश शर्मा को उनके पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में दीर्घकालिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान "पीपल एंड नेचर सर्विसेज टू वाइल्डलाइफ अवार्ड" के रूप में दिया गया।
सम्मान समारोह:
यह सम्मान समारोह 3 फरवरी 2025 को सवाई माधोपुर के फतेह पब्लिक स्कूल में आयोजित किया गया, जहां डॉ. शर्मा को उनकी कार्यों के लिए स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र और 21 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। इस अवसर पर कई प्रमुख अतिथि और वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञ मौजूद थे, जिनमें राजस्थान के हैड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स (हॉफ), अरिजीत बनर्जी, महाराष्ट्र के रिटायर्ड पीसीसीएफ और पर्यावरण विशेषज्ञ सुनील लिमये, और सरिस्का के फिल्ड डायरेक्टर अनूप के राघवन शामिल थे।
डॉ. शर्मा के योगदान:
डॉ. कमलेश शर्मा ने 25 वर्षों से अधिक समय तक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और पर्यावरणीय लेखन के माध्यम से जनजागरूकता फैलाने का कार्य किया है। उनका योगदान वन्यजीव और पक्षी संरक्षण, तितलियों और वृक्षों के संरक्षण के प्रति उनकी सक्रिय भागीदारी से रहा है। उनके लेख बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की मैगजीन सहित कई प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा, डॉ. शर्मा डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर और जयपुर जैसे विभिन्न जिलों में बर्ड फेस्टिवल की शुरुआत से ही साथ में है। जो आज एक महत्वपूर्ण वन्यजीव और पक्षी संरक्षण आयोजन बन चुका है।
महत्वपूर्ण कार्यों की सूची:
Tiger Conservation in Kumbhalgarh
कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों के पुनर्वास: डॉ. शर्मा ने कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों के पुनर्वास को लेकर ग्रामीणों के बीच फैली भ्रांतियों को दूर किया और इसके लिए जागरूकता पैदा की। उन्होंने स्थानीय समुदायों से संपर्क किया और बाघों के संरक्षण के महत्व के बारे में समझाया।
Saving the Black-Headed Ibis
ब्लेक-हेडेड आईबीस के संरक्षण के प्रयास: डॉ. शर्मा ने डूंगरपुर जिले में ब्लेक-हेडेड आईबीस की घोंसलों वाले पेड़ों के कटने के बाद 200 से अधिक पक्षियों और उनके चिक्स को बचाया। इस कार्य ने न केवल इन पक्षियों के जीवन को बचाया, बल्कि क्षेत्रीय लोगों को पर्यावरणीय संरक्षण के महत्व के बारे में भी जागरूक किया।
Bird Species Study in Shyampura
श्यामपुरा में पक्षियों की प्रजातियों का अध्ययन: डॉ. शर्मा ने श्यामपुरा में एक विशेष अभियान चलाया, जिसमें उन्होंने एक साथ 38 प्रजातियों के पक्षियों की उपस्थिति का पता लगाया। इस कार्य को एक महत्वपूर्ण वन प्रकृति शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में उन्होंने कई कदम उठाए।
पर्यावरणीय लेखन और फोटोग्राफी: डॉ. शर्मा का योगदान केवल वन्यजीव संरक्षण में ही नहीं, बल्कि उन्होंने अपने लेखों और फोटोग्राफी के माध्यम से भी पर्यावरणीय मुद्दों पर जनजागरूकता फैलाई। उन्होंने वन्यजीवों और पक्षियों के संरक्षण के प्रति समाज में एक नई सोच पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समारोह में टाइगर वॉच के संस्थापक और प्रमुख जीव विज्ञानी डॉ. धर्मेंद्र खांडल ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के बारे में जानकारी दी और उनकी कार्यशैली को सराहा। उन्होंने डॉ. शर्मा के योगदान को उजागर करते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होंने वाइल्डलाइफ और पर्यावरण संरक्षण में समाज की सोच को बदलने के लिए निरंतर प्रयास किए।
समारोह में राजस्थान के हैड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स, अरिजीत बनर्जी, सुनील लिमये, अनूप राघवन और कई अन्य प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे। इनके अलावा, कार्यक्रम में हर्षवर्धन, डॉ. सतीश शर्मा, अरविंद चोटिया और देशभर के अन्य पर्यावरण प्रेमी भी मौजूद थे।
डॉ. कमलेश शर्मा का यह सम्मान उनके दीर्घकालिक समर्पण और उत्कृष्ट कार्यों के लिए मिला है । यह पुरस्कार न केवल डॉ. शर्मा की कड़ी मेहनत और जुनून को सम्मानित करता है, बल्कि यह समाज को पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने का एक प्रेरणास्त्रोत भी बनता है। उनका कार्य भविष्य में वन्यजीवों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए एक प्रेरणा बनेगा।