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श्रद्धांजलि विशेष: पत्रकारिता के पुरोधा स्वर्गीय कमल माथुर जी की छठवीं पुण्यतिथि पर स्मरण



आज पत्रकारिता जगत एक ऐसी शख्सियत को स्मरण कर रहा है, जिनकी लेखनी ने समाज को आईना दिखाया, जिनकी सोच ने पत्रकारिता को नई दिशा दी और जिनके शिष्य आज देश और प्रदेश में गौरव का प्रतीक बने हुए हैं। वरिष्ठ संपादक स्वर्गीय कमल जी माथुर की छठवीं पुण्यतिथि पर हम उन्हें सादर नमन करते हैं।


कमल माथुर: सिद्धांतों पर अडिग पत्रकार

कमल जी माथुर न सिर्फ सीकर दैनिक भास्कर के संपादक रहे, बल्कि उन्होंने कई प्रमुख अखबारों में भी अपनी निर्भीक, निष्पक्ष और प्रखर पत्रकारिता से विशेष पहचान बनाई। वे खबर को केवल सूचना नहीं, समाज के लिए जिम्मेदारी मानते थे। उनकी कलम में जहां जनहित की पीड़ा होती थी, वहीं सत्ता से सवाल करने का साहस भी होता था।


उनकी रिपोर्टिंग में ग्रामीण भारत की सच्चाई झलकती थी, और संपादकीय में नीति-निर्धारकों को सोचने पर मजबूर करने वाली बात होती थी। वे पत्रकारिता को केवल करियर नहीं, समाज सेवा का माध्यम मानते थे।


शिष्य आज देश की ऊंचाइयों पर

कमल जी की सबसे बड़ी उपलब्धि शायद उनकी लेखनी नहीं, बल्कि वे दर्जनों शिष्य हैं जो आज उनकी दी गई पत्रकारिता की शिक्षा को अपने-अपने क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं।


कोई आज राष्ट्रीय चैनलों का वरिष्ठ एंकर है,

कोई प्रतिष्ठित समाचार पत्र का संपादक,

तो कई उनके शिष्य प्रशासनिक सेवाओं में ऊँचे पदों पर आसीन हैं।

राज्य सरकार में भी कई अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने कभी कमल जी से मार्गदर्शन पाया था। यह उनकी विचारशीलता, शिक्षाशैली और स्नेह का परिणाम है कि उनके विचार आज भी जीवंत हैं।


व्यक्तित्व जो प्रेरणा बन गया

कमल माथुर जी का जीवन सादगी, अनुशासन और सत्यान्वेषण का प्रतीक था। वे जितने उत्कृष्ट पत्रकार थे, उतने ही सजग शिक्षक और संवेदनशील इंसान भी थे। उनका जीवन पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए एक जीवित पाठ्यक्रम है।


आज भी जीवित हैं कमल जी के विचार

समय भले ही आगे बढ़ गया हो, तकनीक ने खबरों को तेज़ कर दिया हो, लेकिन कमल जी जैसे संपादकों की कमी आज हर पत्रकार महसूस करता है। वे सिखाते थे कि "पहले सत्य को जानो, फिर उसे निर्भीकता से कहो" — और यही मूलमंत्र आज भी प्रासंगिक है।

आज उनकी छठवीं पुण्यतिथि पर हम केवल उन्हें याद नहीं कर रहे, बल्कि उस पत्रकारिता को भी नमन कर रहे हैं जो समाज के लिए थी, जो मूल्यों पर आधारित थी और जो आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देती रहेगी।


कमल जी माथुर को शत् शत् नमन।