बीकानेर(जयनारायण बिस्सा)। अगर किसी व्यक्ति पर शनि की वक्र दृष्टि है या कोई व्यक्ति शनिदेव को खुश करना चाहता है तो इसके लिए आगामी दिनों में बहुत ही अच्छा अवसर आ रहा है। यह ऐसा अवसर होगा, जब विधिवत पूजा पाठ करके और दान पुण्य करके सूर्यपुत्र शनिदेव को खुश किया जा सकेगा। यह अवसर है शनिचरी अमावस्या का, जो सत्रह मार्च को पड़ रही है। इस मौके पर शहर के शनि मंदिरों में विशेष पूजा का दौर चलेगा। बड़ी तादाद में श्रद्धालु शनि मंदिरों में उमड़ेंगे। शनिचरी का संयोग तब बनता है, जब अमावस्या के दिन शनिवार पड़े। शनिदेव को खुश करने के लिए शनिचरी अमावस्या के दिन तिल, जौ और तेल का दान करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
पंडितों की माने तो ऐसी मान्यता है कि शनिचरी अमावस्या के अवसर पर शनि दान करने से मनोवांछित फल मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन राशियों के जातकों के लिए शनि अशुभ है, उन्हें शनिचरी अमावस्या के संयोग पर शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से उन्हें शनि की कृपा प्राप्त होती है और शनि-दोष से मुक्ति मिलती है। शनिचरी अमावस के दिन दान करने से अक्षय फल मिलते हैं। माना जाता है कि जब अमावस शनिवार को पड़ती है, तो तीर्थ पर जा कर स्नान करने से बड़े से बड़ा पाप धुल जाता है। पिंडदान का भी बहुत महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना से भी वांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों के नाम पर काले कपड़े, काले रंग की खाने की चीजों, लोहे के साथ अनाज तथा चना और उड़द की दाल का दान करना चाहिए।
ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न
पंडितों के अनुसार शनिचरी अमावस्या के दिन शनिदेव को तेल से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही सुगंधित इत्र, इमरती का भोग, नीला फूल चढ़ाने के साथ मंत्र के जाप से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव के श्री विग्रह पर काला तिल, काला उड़द, लोहा, काला कपड़ा, नीला कपड़ा, गुड़, नीला फूल, अकवन के फूल-पत्ते अर्पण करने चाहिएं।
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