रविवार, 15 अप्रैल 2018

अम्बेडकर भवन का किया शिलान्यास

खबर - राजकुमार चोटिया 
सुजानगढ़ - अम्बेडकर जयन्ति पर दुलियां बास स्थित बिड़दादास जी की बगीची की भूमि में 67 लाख की लागत से बनने वाले अम्बेडकर भवन का शिलान्यास किया गया। पं. सोमदत शास्त्री के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधायक खेमाराम मेघवाल एवं उपखण्ड अधिकारी दीनदयाल बाकोलिया ने भूमि पूजन कर शिलान्यास किया। बगीची के महन्त सांवरदास जी महाराज के सानिध्य एवं सभापति सिकन्दर अली खिलजी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा के समक्ष केक काट कर किया गया। आयुक्त मघराज डूडी ने स्वागत भाषण देते हुए आयोजकीय पृष्ठ भूमि के बारे में जानकारी दी। विधायक खेमाराम मेघवाल ने उपस्थित जनों को सम्बोधित करते हुए आपणी योजना एवं सीवरेज योजना के बारे में बताते हुए दोनो योजनाओं की क्रियान्विति में नगरपरिषद के सहयोग की प्रशंसा की। उपखण्ड अधिकारी दीनदयाल बाकोलिया ने कहा कि संघर्ष करने से ही जीवन में निखार आता है तथा सकारात्मक संघर्ष करें। उन्होने कहा कि बाबा साहेब ने अपने जीवन में सकारात्मक संघर्ष कर ही ये  मुकाम पाया है कि आज हम उन्हे याद करते हैं। उपस्थित नागरिकों से बाकोलिया ने अपनी संतान को शिक्षा के साथ संस्कार देने का भी आह्वान किया। सभापति सिकन्दर अली खिलजी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया। समारोह में उपसभापति बाबूलाल कुलदीप, विष्णुदत त्रिवेदी, तहसीलदार सुशील कुमार सैनी, पार्षद सुशीला मेघवाल, भाजपा मण्डल अध्यक्ष वैद्य भंवरलाल शर्मा, नेता प्रतिपक्ष बुद्धिप्रकाश सोनी मंचासीन थे। नगरपरिषद के सहायक अभियन्ता दिलीपसिंह, पार्षद प्रतिनिधि दूलीचन्द मेघवाल, पुरूषोत्तम पंवार, हनुमानाराम मेघवाल, डूंगरराम मेघवाल, मुन्नालाल मीणा, खडक़दास स्वामी, फारूक भुट्टा, मूलचन्द स्वामी, तिलोकचन्द, शकूर राईन, सीताराम मेघवाल सहित अनेक मौहल्लेवासियों ने अतिथियों का माला एवं साफा बांध कर स्वागत किया। इस अवसर पर उपस्थित पार्षदों का भी माला पहनाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में गणेश मण्डावरिया, इकबाल खान, उषा बगड़ा, मो. मुंशी, मो. खालिद गौरी, श्रीराम भामा, प्रहलाद जाखड़, मदन गुलेरिया, नन्दलाल मेघवाल, श्रीराम मेघवाल, डॉ. शंकर जिलोया, विनोद खटीक, भाजयुमो अध्यक्ष विजय चौहान, नरेन्द्र गुर्जर सहित अनेक पार्षद एवं गणमान्यजन उपस्थित थे। संचालन डॉ. घनश्यामनाथ कच्छावा ने किया। 

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