बीकानेर (जयनारायण बिस्सा)। इस साल पुरुषोत्तम माह और रमजान एक साथ होंगे। मई में दो धर्म के प्रमुख त्योहार एक साथ आ रहे हैं। 3 साल बाद हिंदुओं का अधिक मास आ रहा है तो मुस्लिमों का पवित्र रमजान माह गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 11 दिन पहले शुरू हो जाएगा। पूजा व इबादत के इस संयोग में दोनों धर्म के लोग एक साथ पर्व मनाएंगे। अधिक मास में मंदिरों-आश्रमों में लोग पूजा-पाठ, जप-अनुष्ठान और कथा-प्रवचन करेंगे तो रमजान में मस्जिदों में नमाज व इबादत के साथ रोजे रखकर दुआ मांगेंगे। इस बार दो ज्येष्ठ माह होंगे। वैसे ज्येष्ठ 30 अप्रैल से शुरू हो जाएगा, परंतु अधिक मास जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं, की अवधि 16 मई से 13 जून तक रहेगी। दूसरी ओर रमजान का आगाज 17 मई से हो सकता है। पिछले साल के मुकाबले इस बार रमजान की शुरुआत करीब 11 दिन पहले हो रही है। एक ओर जहां पुरुषोत्तम मास को भागवत कथाएं, प्रवचन समेत कई अन्य धार्मिक आयोजन व पवित्र नदियों में स्नान-दान के लिए विशेष शुभ माना जाता है। वहीं इस्लाम में रमजान माह के दिन इबादत के लिए सबसे अधिक श्रेष्ठ माने जाते हैं।
ज्योतिषाचार्यों की माने तो हिंदू पंचांग के हिसाब से तीन वर्षों तक चंद्रमा की गति के कारण करीब दस तिथियों का क्षय होता है। तीन साल में ये एक माह की हो जाती हैं, परंतु ये अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 365 दिनों की अवधि में ही समाहित रहती है। सिर्फ हिंदी माह दो हो जाते हैं। कोई एक माह दो होने पर इसे अधिकमास की संज्ञा दी जाती है। इस बढ़े हुए मास का नाम पुरुषोत्तम रखा गया है।
30 अप्रैल को वैशाख पूर्णिमा, अगले दिन शब-ए-बरात
यह भी संयोग रहेगा कि 30 अप्रैल को वैशाख पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा तो इसके अगले दिन शब-ए-बरात का त्योहार रहेगा। वैशाख पूर्णिमा हिंदुओं के लिए धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य के लिए बड़ा पर्व माना जाता है। वहीं शब-ए-बरात का दिन मुस्लिम समाज के लिए खुदा की इबादत का मुख्य दिन होता है। पूर्णिमा पर लोग स्नान-दान करेंगे तो अगले दिन मुस्लिमजन मस्जिदों में शब-ए-बरात पर इबादत कर दुआ मांगे ंगे। नमाज के बाद रातभर जागकर इबादत करेंगे। कब्रिस्तानों में जाकर बुजुर्गों की कब्रों पर उनके लिए दुआएं भी करेंगे।
कई लोग उमरा करने मक्का-मदीना जाएंगे
मुस्लिम समाज के अयूब कायमखानी ने बताया कि रमजान की शुरुआत संभवत 17 मई से होगी। इस बार रोजे 11 दिन पहले शुरू होंगे। ईद-उल-फितर 16 या 17 जून को हो सकती है। यह चांद पर निर्भर है। इस बार भी रमजान माह में कई लोग हजरत मोहम्मद साहब के शहर मक्का-मदीना में उमरा करने जाएंगे। रमजान माह का चांद 16 मई को दिखने की संभावना है। चांद दिखा तो 17 से रोजे शुरू होंगे। कुछ वर्ष के अंतराल में माह शुरू होने के दिन क भी घटते कभी बढ़ते रहते हैं। वर्ष 2014 से 2016 तक रमजान माह जून माह में आया था। वर्ष 2017 में रमजान माह 28 मई से शुरू हुआ था। इस बार 11 दिन पहले यानी 17 मई को शुरू होगा। यदि 16 मई की रात चांद दिखता है तो मस्जिदों में तरावीह की नमाज अदा कर रमजान शुरू होने की घोषणा होगी। चांद नहीं दिखा तो पर्व एक दिन बाद माना जाएगा। 17 मई से रोजे शुरू हो जाएंगे। चांद के आधार पर पर्व की शुरुआत भले ही एक-दो दिन आगे-पीछे हो सकती है लेकिन संयोग से दोनों त्योहार एक माह तक चलते हैं जो इस बार एक साथ मनाए जाएंगे।
बाजार में हो रही तैयारी
अधिक मास और रमजान एक ही माह में आने से बाजारों में भी तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। रमजान माह में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाजजन रोजे रखते हैं। इसी मद्देनजर बाजारों में तैयारियां चल रही हैं। रमजान माह में सबसे ज्यादा खरीदी फलों की होती है इसलिए इस बार बाजार में ताजे और रसभरे फल बड़ी संख्या में आने की उम्मीद है।
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