खबर - मनोज मिश्रा
लड़का व लड़की में भेदभाव मिटाने का दिया संदेश
शादी से पहले तीन दिन तक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ केे लिये दिया संदेश
रस्म को बदलते हुए खुद ही घोडी़ पर सवार होना किया पसंद
ऐक्शन से ज्यादा प्रभावित सोसायटी में आ सकता है बदलाव
बिसाऊ - शादियां तो आपने बहुत देखी होगी, परंतु क्या आपने कभी देखा या सुना हैं कि एक लड़की साफा बांधकर घोड़ी चढ़कर शादी की कुछ रस्मों को पूरा करने के लिए निकलीं हो। जी हां ये सच हैं। ये अनोखा काम झुंझुनू जिले के बिसाऊ कस्बे का राशन डिलर बाबुलाल धोलपुरिया की बेटी दीपीका ने किया हैं। दीपीका जब बिसाऊ कस्बे में घोड़ी पर साफा बांधकर रस्म पूरा करने के लिए निकली, तो लोग आश्चर्यचकित होकर देखते रह गए। ऐसा करने के पीछे उनका एक मकसद है, वह चाहती हैं कि लोगों की सोच बदले, लड़का लड़की समान है। लड़का व लड़की में भेदभाव नही होना चाहिये। मेरा परीवार चाहता था कि हमें परीवार को समाज को यह सदेंश देना चाहिये। कि लड़का लड़की समान है। उन्हे आगे बढने का अवसर मिलना चाहिये। जिसमें वे काफी हद तक सफल भी रही हैं। वह अपनी शादी से पहले तीन दिन तक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ केे सदेश दे रही है।
दीपिका ने बताया की ग्रामीण इलाकों में लोग टीवी शो या अखबारों में पढ़ने के बजाय ऐक्शन से ज्यादा प्रभावित होते हैं। मेरे माता-पिता बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के लिए सदेश देते आ रहे है। एक राशन डिलर की बेटी अगर ऐक्शन ले रही है, तो जरूर इससे सोसायटी में बदलाव आ सकता है। एक महिला का घोड़े की सवारी करना जल्द ही दूसरे परिवार के लोग भी फॉलो करने वाले हैं। अब समाज में यह बात जरूर जाएगी, कि शादी के वक्त घोड़ी पर बैठने की रस्म केवल बेटे ही नहीं, बल्कि बेटियां भी अदा करती है।
बिंदोरी भारत की प्रसिद्ध प्रीवेडिंग रस्म बिंदोली से थोड़ी अलग है। इस रस्म में दूल्हा-दुल्हन के संबंधियों को दावत में आमंत्रित किया जाता है, इसलिए दूल्हा लड़की के घर तक घोड़े की सवारी करके हुए आता है। दीपिका ने इस रस्म को बदलते हुए खुद ही घोडी़ पर सवार होना पसंद किया।
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