सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

सूरजगढ़ की चुनावी गणित

खबर - पवन शर्मा 
टुकड़ो में बंटी भाजपा क्या निकालेगी सूरजगढ़ सीट  
कांग्रेस के दिग्गज श्रवण कुमार को हराने में क्या भाजपा होगी एकजुट
भाजपा की हार का कारण बनी नीता को शामिल करने से कितना फायदा कितना नुकसान  

सूरजगढ़- चुनाव आयोग द्वारा शनिवार को विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद चुनावों की रणभेरी बज गई है। विधानसभा चुनावों की तारीखों के निर्धारण के बाद सुस्त रफ़्तार से चल रही चुनावी सरगर्मिया भी अब रफ़्तार पकड़ने लगेगी। जाट बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ साथ सामान्य वर्ग में आरक्षित सीट होने के कारण यहाँ चुनावों में भी आपसी कड़ी स्पर्धा देखने को मिलेगी। 2008 में सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुई यह सीट उसके बाद से जिले की हॉट सीटों  में शुमार हो गई। गत विधानसभा के उप चुनावों में भाजपा के दिग्गज व क़द्दावत नेता डॉ दिग्म्बर सिंह कि हार के बाद यह सीट भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल हो गई है। जहां इस सीट पर 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में लगातार जीतते आ रहे कांग्रेसी विधायक श्रवण कुमार को झुंझुनू से सांसद आइरन लेडी मानी जा रही संतोष अहलावत ने जिन्होंने सूरजगढ़ से  विधानसभा चुनाव लड़ा ने  भारी अंतर से हराकर बीजेपी का दस वर्षो बाद कमल खिलाया था। उसके बाद मई 2014 में हुए लोक सभा चुनावों में यहां से विधायक रही संतोष अहलावत के लोकसभा के चुनावों में जीत होने के बाद इस सीट पर सितंबर 2014 में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के श्रवण कुमार ने भाजपा की आपसी फुट का फायदा उठाते हुए भाजपा के दिग्गज नेता डॉ दिगम्बर सिंह को 3270 मतों के अंतर से हराकर कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा को फिर से लौटाया था ऐसे में यह चुनाव एक बार फिर दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है।    

कॉग्रेस में एक तो भाजपा में कई दावेदार   

सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र ज्यादातर कांग्रेस का ही गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में वर्तमान झुंझुनू सांसद संतोष अहलावत ने कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले तात्कालिक विधायक श्रवण कुमार को करीब 50 हजार मतों के भारी अंतर से हराकर कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई थी। लेकिन वर्तमान समय में हालात कुछ बदले बदले नजर आ रहे है जनचर्चाओ की माने तो भाजपा की आंतरिक कलह के आधार पर कांग्रेस मजबूत मानी जा रही है। सूरजगढ़ से इस बार फिर वर्तमान विधायक श्रवण कुमार ही एक मात्र कांग्रेस के उम्मीदवार है वही भाजपा में एक अनार सो बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। क्षेत्र से भाजपा की टिकट  के दावेदारों में सांसद पति व भाजपा नेता सुरेंद्र अहलावत के साथ विधानसभा क्षेत्र की सूरजगढ़ व बुहाना पंचायत समितियों के प्रधान सुभाष  पूनिया व कविता यादव के नाम दावेदारों के लिस्ट में दिखाई दे रहे है। वैसे भी भाजपा टिकट के लिए दावेदारी जता रहे भाजपा नेता सुरेंद्र अहलावत ,प्रधान शुभाष पूनिया और प्रधान कविता यादव पिछले कुछ वर्षो से ही क्षेत्र में सक्रीय भूमिका में रहते हुए पार्टी व संगठन को मजबूत करते हुए कार्यकर्ताओ के हित के लिए कार्य करते आये है। ऐसे में उन दावेदारों को टक्कर देने में एक नाम ओर 2014 में हुए विधानसभा के उपचुनावों में भाजपा के कद्दावर नेता रहे स्व:डॉ दिगंबर को हराने में अहम रोल अदा करने वाली बुहाना की पूर्व प्रधान रहे नीता यादव का नाम दावेदारों में बढ़ गया है जिसने  अभी कुछ दिन पूर्व विधानसभा क्षेत्र में गौरव यात्रा में आई सीएम वसुंधरा राजे के समक्ष भाजपा ज्वाइन करते हुए भाजपा टिकट के लिए अपना दावा जरूर पेश कर दिया है लेकिन उसकी टिकट पर संदेह के बादल दिखाई दे रहे है वजह भी साफ़ ही है की जिस व्यक्ति ने यहां 2014 में हुए उपचुनावों में भाजपा को हराने में मुख्य भूमिका निभाते हुए कांग्रेस को जताकर उसे दुबारा  जीवन दान दिया ऐसे व्यक्ति को टिकट देकर क्या भाजपा अपने मूल कार्यकर्ता का खोया सम्मान उसे लोटा पायेगी। खैर अब ये तो आने वाले कुछ दिनों बाद पता चल ही जायेगा की भाजपा किसको पार्टी की टिकट सौंप कर यहां से राजनीती के रण में उतरती है।   

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