मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व लचर चिकित्सा व्यवस्था ने लील ली जिंदगी

खबर - पवन शर्मा 
भाजपा व कांग्रेस के विकास के दावों की पोल खोलती चिकित्सा व्यवस्था  
सूरजगढ़ - कस्बे के वार्ड 12 में बीती रात हुए सड़क हादसे एक युवक की मौत ने    
राजस्थान के अंतिम छोर पर बसी और हरियाणा सीमा से शटी सूरजगढ़ की जनता के सामने झूठे वादे,दावों को लेकर जनसंपर्क कर रहे नेताओ के खोखले वादों व दावों की पोल खोल दी है। जानकारी के अनुसार कस्बे के नायक बस्ती में रहने वाला रमेश नायक कार में बैठकर घर लौट रहा था इसी दौरान छापड़िया मोहल्ले में उनकी कार अनियंत्रित होकर मकान की दीवार से जा टकराई हादसे में रमेश घायल हो गया। सूचना पर जीवन ज्योति रक्षा समिति सदस्य मौके पर पहुंचे और घायल रमेश को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जहां से चिकित्सको ने उसे झन्झुनु के बीडीके अस्पताल रैफर कर दिया। इसी दौरान बिच रास्ते में मौत हो गई। 

रमेश की मौत से नेताओ के दावों की खुलती है पोल 
रमेश नायक की मौत ने जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व सूरजगढ़ विधानसभा में लचर चिकित्सा व्यवस्था की  पोल खोल दी है। हर बार चुनावों का समय नजदीक आते ही यहां से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी जनता के सामने झूठे वादे व दावे लेकर उनके बिच जाते है। उनका मत पाने के लिए उन्हें तरह तरह का प्रलोभन भी देते है लेकिन चुनाव होने व वोट डलने के बाद उन्हें जनता की सुध व उनकी समस्या से शायद कोई सरोकार नहीं रहता है। उनकी उदासीनता का दंश यहां की जनता को पांच वर्ष तक भोगना पड़ता है। चाहे कांग्रेस जीते चाहे बीजेपी लेकिन कोई भी यहां की जनता के लिए मूल सुविधा बढ़ाने व समस्याओ के निदान से कार्य करता नहीं दिखाई देता है। यही कारण है की आजादी के इतने वर्षो के बाद आज भी यहाँ परिवहन,शिक्षा,पेयजल ,चिकित्सा से जुडी समस्या जस की तस दिखाई दे रही है। 

चुनाव आये ,चुनाव गए नेताओ के वादे रहे धरे  
सूरजगढ़ शीट पर नेता तो कई आये और कई गए लेकिन यहाँ की जनता को कोई ऐसा नेता नहीं मिल पाया है जो जनता की उम्मीदों पर खरा उतरा हो कहने को तो वर्तमान विधायक श्रवण कुमार भी यहां करीब दस वर्षो से विधायक है लेकिन इनके इन दो कार्यकालों भी यहाँ कोई बड़ा प्रोजेक्ट व बड़ा विकास कार्य नहीं हुआ है। वही भाजपा की कड़ी से कड़ी जुडी सरकार भी यहां पर स्थापित लेकिन इसके बावजूद भी यहां जो पूर्व समस्याएं थी वो आज भी ज्यों की त्यों दिखाई दे रही है जिनके निदान की मांग जनता के अधरों से अभी भी सुनाई देती है। 

ये है समस्याएं 
सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पहली समस्या तो शिक्षा से जुडी है सूरजगढ़ बुहाना में दो उपखंड मुख्यालय होने के बावजूद भी किसी पर भी सरकारी कॉलेज ना होने से युवाओ को शिक्षा में बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है। युवाओ को मजबूरी वश महंगे निजी कॉलेजों में अध्ययन करना पड़ता है। दूसरी यहाँ की जनता को मुख्य समस्या परिवहन से जुडी है। यहाँ के किसी भी उपखंड मुख्यालय पर सरकारी बस स्टैंड नहीं है और ना ही सरकारी बसों को अधिक आवागमन है। कुछेक स्थानों को छोड़कर यहां की जनता सरकारी बसों से महरूम है। यहां ग्रामीण क्षेत्रो में सरकारी बसों को संचालन नहीं होने से ग्रामीणों व आमजन को दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। वही रेलवे ट्रेक के मीटर  गेज से ब्रॉडगेज में परिवर्तन होने के बाद ट्रेनों की कम संख्या व गलत समय के संचालन के कारण यहां की जनता को पूरा लाभ नहीं मिल पाया है। तीसरी मुख्य समस्या यहाँ चिकित्सा व्यवस्था की है यहाँ सरकार ने अस्पताल तो बनाये है लेकिन उनमे चिकित्सको का पूर्ण स्टाफ नहीं होने से यहां की जनता को चिकित्सा से जुडी थोड़ी भी बड़ी समस्या होने पर उसे बड़े शहरो की ओर भागना पड़ता है। इसके साथ ही यहां की जनता के सामने पेयजल व आवारा पशुओ की भी बड़ी समस्या है

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